'मसान' उस रुलाई की तरह है जो आपको अंदर से हल्का कर देती है : रिचा चढ्ढा

'मसान' उस रुलाई की तरह है जो आपको अंदर से हल्का कर देती है : रिचा चढ्ढा

रिचा चढ्ढा की फाइल तस्वीर

मुंबई:

मैंने जब रात 10.30 बजे  रिचा चड्डा को मिलने के लिए फोन किया तो उनके किचन से प्रेशर कूकर की सीटी की आवाज़ आयी। उन्होंने बताया कि उनकी नौकरानी के छुट्टी लेने के कारण वो खाना बना रहीं थी।

जबकि मुझे ऐसा लगा था कि 'मसान' फिल्म की अभूतपूर्व सफलता के बाद उनमें थोड़ा बदलाव आएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ था।

मसान का ज़िक्र आने पर उन्होंने कहा, 'मैंने जब  कांस में इस फिल्म को पहली बार देखा था, तभी समझ गई थी कि ये फिल्म चलेगी। ये एक बहुत ही मार्मिक कहानी थी, बहुत ही पॉज़िटिव और आशावादी। ये हमारे भीतर एक उम्मीद छोड़ती है। ये फिल्म वैसी रुलाई की तरह है जो आपको अंदर से हल्का कर देती है, और एक लंबा अर्सा हुआ जब हम सब ऐसे थे।'  


कांस में मसान की स्क्रीनिंग के बाद मिले स्टैंडिंग ओवेशन पर रिचा कहती हैं, 'मैं पांच मिनट तक मिले उस स्टैंडिंग ओवेशन को जीवन भर नहीं भूलुंगी, ये सम्मान कितने लोगों को मिलता है?'  

वो बताती हैं कि कैसे फिनलैंड की एक महिला उनसे मिलने आयीं थी और कुछ कह नहीं पायीं और लगातार रोतीं रहीं और एक करीबी मित्र ने उनकी फिल्म देखने के बाद कहा, 'हर फिल्म जो तुम करती हो वो तुम्हारे लिए एक चुनौती बन जाती है।'  

रिचा कहती है कि वो अपनी दोस्त की इस तारीफ़ से बेहद खुश हुईं क्योंकि वो सामान्य तौर पर वो बहुत सड़ियल है।


और शायद यही वो सादगी और सच्चाई है जो रिचा को औरों से अलग बनाती है और रिचा के अनुसार यही वो वजह है जिस कारण लोग उन्हें 'अजीब' कहते हैं, पर वो इन सबसे उबर जाती हैं।

रिचा कहती हैं, 'जब आप शुद्ध रुप से सच कहते हैं तो कोई भी बुरा नहीं मानता है और जब वो देखते हैं कि इसका मकसद किसी को चोट पहुंचाना नहीं है तो वो काफी असरदार होती है।'

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रिचा के अनुसार, 'असल में हमारी विचित्रता कई बार हमारी मदद ही करती है।'