वाड्रा के बहाने एक बार फिर 'गांधी परिवार' पर निशाना

वाड्रा के बहाने एक बार फिर 'गांधी परिवार' पर निशाना

चंडीगढ़:

आख़िरकार हरियाणा की बीजेपी सरकार ने डीएलएफ और रॉबर्ट वाड्रा के बीच ज़मीन सौदे की जांच के लिए न्यायिक आयोग के गठन को हरी झंडी दे दी। दिल्ली हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एस.एन. ढींगरा को जांच का ज़िम्मा सौंपा गया है। उन्हें 6 महीनों में रिपोर्ट देनी होगी। रॉबर्ट वाड्रा ने बयान जारी कर उम्मीद जताई कि इस मामले में राजनीतिक विद्वेष से कार्रवाई नहीं होगी।

गुडगांव का सेक्टर 83, इसी सेक्टर में गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के बीच 3.5 एकड़ ज़मीन का सौदा सुर्ख़ियों में आया था। जब साल 2012 में आईएएस अफसर अशोक खेमका ने अनियममितताओं का हवाला देते हुए ज़मीन की दाखिल खारिज रद्द कर दी थी। बीजेपी ने हरियाणा विधानसभा चुनावों में इस मुद्दे को खूब उछला था और सरकार बनाने पर कार्रवाई का वायदा किया था, लेकिन मामले की जांच के आदेश जारी करने में छह महीने लग गए। मार्च में जारी सीएजी की सालाना रिपोर्ट में भी वाड्रा को दिए गए लाइसेंस में नियमों में ढील देने के लिए पिछली हुड्डा सरकार की खिचाई की गई थी।

हरियाणा सरकार में मंत्री अनिल विज ने कहा कि किसी भी ज़मीन की कीमत एक महीने में 15 करोड़ से बढ़कर 58 करोड़ नहीं हो सकती, ये साफ़ है कि उन्होंने सीएलयू से कमाई की, उन्हें ये सीएलयू इसलिए मिला क्यूंकि वह राहुल गांधी के जीजा हैं और सोनिया गांधी के दामाद हैं।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा दवा किया, 'कोई भी गैर कानूनी, वाड्रा जी को छोड़ो, हमने किसी का फेवर नहीं किया।' रॉबर्ट वाड्रा ने बयान जारी कर उम्मीद जताई कि जांच आयोग का गठन राजनीतिक विद्वेष कि भावना से नहीं किया गया है, ये सन्देश उन्होंने अपने फेसबुक पेज पर भी पोस्ट किया।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'ये फैसला ऐसे वक़्त आया है जब छुट्टी से लौटे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार के खिलाफ संसद से लेकर सड़क तक मोर्चा खोल रखा है।' लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि बीजेपी कोई भी काम बदले की भावना से नहीं करती, हम सबके विकास में यकीन रखते हैं।'

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

जांच आयोग के लिए जारी अधिसूचना में हुड्डा सरकार के दौरान बिल्डरों को दिए गए ऐसे लाईसेंसों की भी जांच की बात कही गई है, जिनमें अनियममितताओं के आरोप लगे हैं। साथ ही उन अफसरों की भूमिका भी जांच के दायरे में होगी, जिन्होंने नियमों का पालन नहीं किया।