यह ख़बर 02 सितंबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

देश कांग्रेस की जागीर नहीं : आरएसएस

खास बातें

  • आरएसएस ने कांग्रेस पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा है कि देश उसकी जागीर नहीं है जो वह मनमाने तरीके से सरकारी खजाने की लूट करे और देश की जनता आंखें मूंद सबकुछ देखती रहे।
नई दिल्ली:

कोयला ब्लॉक आवंटन के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के मुद्दे पर अब तक चुप्पी साधे रखने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कांग्रेस पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा है कि देश उसकी जागीर नहीं है जो वह मनमाने तरीके से सरकारी खजाने की लूट करे और देश की जनता आंखें मूंद सबकुछ देखती रहे।

दरअसल, यह बात संघ के मुखपत्र पांचजण्य ने कही है। संघ ने अब तक इस मसले पर चल रहे गतिरोध पर चुप्पी साध रखी थी। पहली बार अपने मुखपत्र के माध्यम से उसने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधा है और अपनी बात रखी है।

पांचजण्य के ताजा अंक में कहा गया है, "देश कांग्रेस की जागीर नहीं है कि वह मनमाने तरीके से सरकारी खजाने की लूट करे और जनता आंखें मूंद ले। राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाला व अब कोयला खदान आवंटन घोटाला जैसे महाभ्रष्टाचार के एक के बाद एक आयाम जुड़ते चले जा रहे हैं।"

इसमें कहा गया है, "प्रधानमंत्री गठबंधन की मजबूरी की आड़ लेकर अब तक सफाई देते रहे हैं, लेकिन कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला तो स्वयं प्रधानमंत्री के कोयला मंत्रालय के प्रभारी रहते हुआ, तो दोष नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के मत्थे क्यों मढ़ा जा रहा है? जबकि वास्तव में इसके लिए प्रधानमंत्री स्वयं नैतिक और प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार हैं। इस सारी छीछालेदार से बौखलाई कांग्रेस विपक्ष पर बहस से भागने का आरोप लगा रही है जबकि वह खुद इस सरकार की छत्रछाया में हो रहे बड़े-बड़े घोटालों पर जवाब देने से कतराती रही है।"

संघ ने प्रधानमंत्री पर खुलकर हमला करते हुए इसके माध्यम से कहा है, "प्रधानमंत्री जब लोकसभा में जवाब देने आए तो उन्होंने तथ्यों को रखने की बजाय विपक्ष और सीएजी पर निशाना साधकर अपनी बेगुनाही साबित करने की कोशिश की। स्वयं कांग्रेस ने भी भाजपा और सीएजी के प्रति ही अपनी तल्खी दिखाई और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसके विरोध में पार्टी के सड़कों पर उतरने का ऐलान कर दिया। वह भूल रही हैं कि देश उनकी असलियत जान गया है और वह इस भ्रष्टाचारी सरकार को माफ करने के लिए कतई तैयार नहीं है, क्योंकि इस सरकार की न देश में आस्था है और न ही देश के संविधान में।"

मुखपत्र में कहा गया है कि देश के खजाने और भारत की प्राकृतिक संपदा को यह सरकार किस तरह लूटने के अवसर मुहैया करा रही है कि 142 कोयला खदानों का बिना नीलामी के निजी कंपनियों को आवंटन कर दिया गया और प्रधानमंत्री सफाई देते फिर रहे हैं कि सीएजी की रपट गलत है और वह पद से इस्तीफा नहीं देंगे।

कहा गया है कि सरकार के इस रुख से साफ है कि वह चाहती है कि संवैधानिक संस्थाएं अपने स्वायत्त स्वरूप को छोड़कर कांग्रेस के राजनीतिक हितों की पैरवी करें और इसके लिए अपने इस्तेमाल पर भी वह आंखें मूंद लें। जनता को पता है कि कांग्रेस के लिए कब किसको डराना है और कब किसके विरुद्ध चुप बैठ जाना है। यह खेल सीबीआई के माध्यम से मनमोहन सिंह सरकार खूब खेल रही है। मुलायम सिंह यादव और मायावती तो इसके ताजा उदाहरण हैं।

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प्रधानमंत्री पर हमला जारी रखते हुए इसमें कहा गया है, "यह सब करते हुए सरकार भूल रही है कि उसकी इन हरकतों से भारत का संवैधानिक ढांचा कमजोर होगा। प्रधानमंत्री सीएजी पर उंगली उठाते समय यह भी भूल गए कि यह केंद्र सरकार की ही 'ऑडिट एजेंसी' है। उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाकर सरकार अपनी विश्वसनीयता (यदि कोई बची हो) भी खतरे में डाल रही है।"