यह ख़बर 28 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित हुई थी

साईं ट्रस्ट अध्यक्ष का चुनाव अगले हफ्ते

खास बातें

  • साईं बाबा को समाधि दिए जाने के एक दिन बाद न्यासियों ने यह भी कहा कि 86 वर्षीय आध्यात्मिक नेता ने कोई वसीयत नहीं छोड़ी है।
पुट्टपर्थी:

श्री सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट के न्यासियों ने बृहस्पतिवार को कहा कि साईं बाबा के जेहन में कोई उत्तराधिकारी नहीं था और ट्रस्ट का नया अध्यक्ष अगले हफ्ते चुना जा सकता है। उन्होंने एकमत प्रदर्शित करते हुए किसी भी तरह के आपसी मतभेद से इनकार किया। आंध्र प्रदेश की तीर्थ नगरी में साईं बाबा को समाधि दिए जाने के एक दिन बाद न्यासियों ने यह भी कहा कि 86 वर्षीय आध्यात्मिक नेता ने कोई वसीयत नहीं छोड़ी है और उनका केयरटेकर सत्यजीत ट्रस्ट का महज एक कर्मी था जिसे उन्होंने कुछ व्यक्तिगत कार्य के लिए चुना था और इससे ज्यादा कुछ नहीं। यहां सत्य साईं इंडोर स्टेडियम में अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में न्यासियों ने कहा अध्यक्ष का चुनाव अगले हफ्ते हो सकता है जब न्यासियों और प्रबंधन परिषद की बैठक होगी। जहां तक हम जानते हैं बाबा की कोई वसीयत नहीं है और न ही उनके जेहन में कोई उत्तराधिकारी था। न्यासियों ने आश्वस्त किया कि उनका कोई निजी निहित स्वार्थ नहीं है और कहा कि उनके बीच कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा हमारा कोई निजी निहित स्वार्थ नहीं है। लेकिन कुछ ऐसे निहित स्वार्थ हैं जो ट्रस्ट के नाम इसके कार्यों और न्यासियों की छवि को धूमिल करने के लिए किए जा रहे हैं। न्यासी एवं भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के पूर्व अध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन ने अपने अन्य ट्रस्ट सहकर्मियों के साथ खचाखच भरे संवाददता सम्मेलन में कहा हम किसी का नाम नहीं लेना चाहते लेकिन हमारी छवि धूमिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। न्यासियों और प्रबंधन परिषद की ओर से श्रीनिवासन ने कहा केंद्र और आंध्र प्रदेश दोनों सरकारों ने आश्वासन दिया है कि वे ट्रस्ट की गतिविधियों में हस्तक्षेप नहीं करेंगी। श्रीनिवासन ने उल्लेख किया उन्होंने हमें बताया कि सरकारें न तो ट्रस्ट की गतिविधियों में हस्तक्षेप करना चाहती हैं और न ही ऐसा कोई प्रस्ताव है। वास्तव में हमने कभी भी किसी भी तरह की सहायता के लिए सरकार से सपंर्क नहीं किया। यह जिक्र करते हुए कि ट्रस्ट संपत्तियों का मूल्य मीडिया ने काफी बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया है श्रीनिवासन और दूसरे न्यासी नागानंद ने कहा कि मूल्य के बारे में हमेशा लोगों की अलग अलग राय रही है। श्रीनिवासन ने कहा इसके अतिरिक्त सोने कीमती चीजों और यहां तक कि धन के गबन के निराधार गैर जिम्मेदार और झूठे आरोपों के मद्देनजर स्पष्ट रूप से कहा जाता है कि आरोप पूरी तरह असत्य हैं और माना जाता है कि ये कुछ निहित स्वाथरें की वजह से लगाए गए हैं। उन्होंने कहा ट्रस्ट की संपत्तियां पूरी तरह एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए हैं। ट्रस्ट के मालिकाना हक वाला जमीन का एक-एक टुकड़ा कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए है और यह बिक्री या व्यावसायिक उपयोग के लिए उपलब्ध नहीं है। श्रीनिवासन ने कहा कि इसलिए ट्रस्ट पारदर्शी रहेगा और बाबा द्वारा स्थापित मूल्यों को कायम रखेगा। संभवत: यह पहली बार है जब सत्य साईं ट्रस्ट ने औपचारिक रूप से कोई संवाददाता सम्मेलन किया है। श्रीनिवासन ने कहा जब बाबा जीवित थे तो हमें मीडिया से रूबरू होने की कभी जरूरत नहीं पड़ी। इन खबरों पर कि ट्रस्ट ने बाबा के देहांत से 21 दिन पहले पार्थिव शरीर रखने के लिए बेंगलूर की एक कंपनी से शीशे का बॉक्स मंगाने का आदेश दिया था न्यासियों ने कहा हमने ऐसे किसी बॉक्स का ऑर्डर नहीं दिया। उन्होंने कहा शीशे का बॉक्स बाबा के देहांत के बाद ही पहुंचा। यह न तो इससे पहले पहुंचा और न ही हमने इसे कहीं रखा था। हमने पहले ही किसी बॉक्स का आदेश नहीं दिया था। दूसरे न्यासी एवं उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता एसएस नागानंद ने कहा कि बाबा द्वारा तैयार किए गए ट्रस्ट के दस्तावेजों में प्रत्येक न्यासी की भूमिका बिल्कुल स्पष्ट की गई है। उन्होंने कहा पिछले साल बाबा ने खुद पांच न्यासियों और प्रबंधन परिषद के चार सदस्यों की नियुक्ति कर ट्रस्ट का विस्तार किया था। न्यासी ट्रस्ट की गतिविधियों की देखभाल ट्रस्ट के दस्तावेजों के अनुरूप करेंगे। यह पूछे जाने पर कि ट्रस्ट में चेक पर हस्ताक्षर करने की शक्ति किसके पास थी न्यासी ने कहा कि यह केवल बाबा के पास थी। बाबा के भतीजे और ट्रस्टी आरजे रत्नाकर ने कहा अब बाबा जीवित नहीं हैं कम से कम दो न्यासियों को चेक पर हस्ताक्षर करने की शक्ति मिलेगी। हम जल्द बैठक करेंगे और इस पर फैसला करेंगे। जाने माने ट्रस्टी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) पीएन भगवती ने कहा कि अब सत्य साईं संस्थान के छात्रों को वैश्विक प्रेम का बाबा का संदेश प्रचारित प्रसारित करना है। बाबा की बीमारी के दौरान सामने आए अन्य मुद्दों पर न्यासियों ने उल्लेख किया कि इस बात को मानने का कोई कारण नहीं है कि 28 मार्च को अस्पताल में भर्ती कराए जाने से पहले बाबा के स्वास्थ्य के साथ असामान्य ढंग से कुछ गलत हुआ। उन्होंने कहा कि बाबा ने खुद ही अपने लिए डॉक्टरों और आवश्यक उपचार के तरीके का चुनाव किया था। न्यासियों ने कहा अस्पताल में डॉक्टरों ने बाबा का इलाज अन्य रोगियों की तरह ही किया। डाक्टरों ने उन्हें भगवान समझकर खुद इलाज के लिए यूं ही नही छोड़ दिया। वेणु श्रीनिवासन ने कहा इसमें कोई संदेह नहीं है कि बाबा कमजोर थे लेकिन हमारे लिए इस बात पर यकीन करने का कोई कारण नहीं है कि कुछ असमान्य रूप से गलत हुआ। उन्होंने कहा कि भारतीय कानून के मुताबिक किसी रोगी का अस्पताल का रिकॉर्ड प्रचारित नहीं किया जा सकता और इसीलिए बाबा के मेडिकल रिकॉर्ड का भी खुलासा नहीं किया गया। हालांकि बाबा के स्वास्थ्य की स्थिति और उपचार प्रक्रिया को लेकर दिन में दो बार मेडिकल बुलेटिन जारी किया जाता था।


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