साक्षी महाराज का फिर से विवादास्पद बयान, बोले- मुस्लिम करवाएं नसबंदी

अपने विवादास्पद बयानों के लिये अक्सर चर्चा में रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज ने कहा है कि परिवार नियोजन में किसी भी समुदाय के प्रति तुष्टीकरण की नीति नहीं अपनायी जानी चाहिए।

हालांकि अपने इस बयान पर साक्षी को खासी फजीहत का सामना खुद अपनी ही पार्टी की ओऱ से करना पड़ सकता है। साक्षी के बयान पर बवाल मचते-मचते बीजेपी के नैशनल सेक्रेट्री श्रीकांत शर्मा ने इस बयान पर कहा,  जनसंख्या देश की बड़ी समस्या है। इस पर सब को विचार करना चाहिए। पर इस तरह के बयानों से इन समस्याओं का हल नहीं होता है।

भाजपा के सांसद साक्षी ने कल उन्नाव में एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं से कहा था, ‘जब हिन्दू लोग नसबंदी करवाते हैं तो मुसलमानों को भी करवानी चाहिये। देश में सबके लिये एक ही नियम होना चाहिये।’

हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा,‘हम नहीं चाहते कि देश के मुसलमानों और ईसाइयों की नसबंदी करवा दी जाए लेकिन परिवार नियोजन तो सभी को अपनाना चाहिए। हम चार बच्चे पैदा करने की बात कर दें तो बवाल हो जाता है लेकिन चार बीवी और 40 बच्चों से कुछ नहीं होता।’

पहले भी दे चुके हैं विवादास्पद बयान
 

जनवरी में साक्षी महाराज ने उन्नाव के ही कार्यक्रम में कहा था, उन्नाव से भगवा वस्त्रधारी सांसद ने कल यहां एक धार्मिक सम्मेलन में कहा, 'इसीलिए मैं हिंदू महिलाओं से आग्रह करना चाहता हूं कि वे कम से कम चार बच्चों को जन्म दें. उनमें से एक साधुओं और संन्यासियों को दे दें। मीडिया कह रहा है कि सीमा पर संघषर्विराम उल्लंघन की घटनाएं हो रही हैं इसलिए एक को सीमा पर भेजें।'

पिछले साल दिसंबर में उन्होंने कहा था, 'गोडसे के दिल में भी राष्ट्र के लिए हमदर्दी थी। वे राष्ट्रभक्त थे।' बाद में इस बयान पर उन्होंने माफी मांगी थी और कहा था, 'हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम... गोडसे को लेकर मैं अपने शब्द वापस लेता हूं।'

पिछले साल सितंबर में उन्होंने कहा था, मदरसों में राष्ट्रीयता की शिक्षा नहीं दी जाती है। उन्होंने कहा था, 'मदरसों में आतंकवाद की शिक्षा दी जाती है। वहां केवल कुरान की शिक्षा देकर आतंकवादी और जेहादी बनाना राष्ट्र के हित में नहीं है।' भाजपा सांसद ने मदरसों को शासकीय सहायता दिए जाने पर सवाल खड़े करते हुए कहा 'हमारे अधिकांश स्कूल सरकार से कोई सहायता नहीं लेते हैं, जबकि राष्ट्रीयता से वास्ता नहीं रखने वाले सभी मदरसों को सरकारी सहायता दी जाती है।'


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