योग दिवस के सरकारी कार्यक्रम में संस्‍कृत श्लोक’ शामिल करने पर केरल की मंत्री ने उठाया सवाल

योग दिवस के सरकारी कार्यक्रम में संस्‍कृत श्लोक’ शामिल करने पर केरल की मंत्री ने उठाया सवाल

प्रतीकात्‍मक फोटो

खास बातें

  • अफसरों से पूछा, क्या 'श्लोक' को समारोह में शामिल किया जाना जरूरी था
  • मंत्री के. सैलजा ने कहा, हर समुदाय अपनी खुद की प्रार्थना कर सकता है
  • बीजेपी के इस मामले में खुलकर सामने आने के बाद मंत्री ने दी यह सफाई
तिरुवनंतपुरम:

केरल की स्वास्थ्य मंत्री और माकपा की वरिष्ठ नेता के. शैलजा ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के सरकारी समारोह में 'संस्कृत श्लोक' को शामिल किए जाने पर चिंता जताकर विवाद को जन्म दे दिया है। सेंट्रल स्टेडियम में आयोजित राज्य स्तर के योग समारोह में शिरकत करते हुए मंत्री ने अधिकारियों से पूछा कि क्या 'श्लोक' को समारोह में शामिल किया जाना जरूरी था।

उन्होंने कहा, 'हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है। योग अभ्‍यास शुरू करने से पहले हर धार्मिक समुदाय अपनी खुद की प्रार्थनाएं कर सकता है। जो लोग किसी धर्म को नहीं मानते हैं, उनके भी ध्यान केंद्रित करने के अपने तरीके होते हैं।' उन्होंने कहा कि ऐसे समारोह में सभी के बीच स्वीकार्य प्रार्थना को शामिल किया जा सकता था।

इस मुद्दे से विवाद पैदा होने के बाद भाजपा ने शैलजा की आलोचना की तो मंत्री ने मीडिया के समक्ष अपनी राय स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने सिर्फ अपना संशय प्रकट किया है कि जिस सार्वजनिक समारोह में कई धर्मों के लोग हिस्सा ले रहे हों, क्या उसमें ‘श्लोक’ को शामिल करना जरूरी था। उन्होंने इन खबरों को खारिज कर दिया कि उन्होंने कार्यक्रम में ‘श्लोक’ शामिल करने के लिए अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है।

भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष कुम्मानम राजशेखरन ने इस मुद्दे पर शैलजा की आलोचना करते हुए कहा कि उनका यह कृत्य ‘निंदनीय’ है और उन्हें ‘वास्तविकता को स्वीकार करते हुए’ योग करना चाहिए।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)


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