नई दिल्ली: एक बड़े फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाज में लापरवाही के मामले में तमिलनाडु सरकार को एक युवती को 1.82 करोड़ रुपए बतौर मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। इस युवती के जन्म के वक्त हुई लापरवाही की वजह से उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 18 सालों में इलाज में खर्च हुए 42 लाख रुपए भी शामिल किए हैं।
हालांकि, सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि ये मामला इलाज में लापरवाही का नहीं बनता। सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल याचिका में युवती के पिता ने कहा था कि उनकी बेटी का जन्म नियत वक्त से पहले हुआ था। लेकिन, चेन्नई के सरकारी अस्पताल के डाक्टरों ने ध्यान नहीं दिया और उसकी आंखों के रेटिना के लिए उपचार नहीं किया।
बाद में जब इस बारे में पता चला तो उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई थी। उन्होंने डाक्टरों से बात की तो पता चला कि वक्त से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की रेटिना के लिए हफ्तेभर में उपचार की जरूरत होती है, लेकिन अस्पताल ने थेरेपी किए बिना ही उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया।
उन्होंने इस मामले की शिकायत उपभोक्ता न्यायालय में की जहां से सरकार को 5 लाख रुपए का मुआवजा देने के आदेश हुए। लेकिन, पिता ने उसके खिलाफ मुआवजा बढ़ाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की। इस दौरान तमिलनाडु सरकार ने मुआवजा बढ़ाने की मांग का विरोध किया और कहा कि ये मामला किसी भी तरह लापरवाही का नहीं है। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने उसकी दलीलों को खारिज करते हुए ये बडा फैसला सुनाया है।