तीस्ता सीतलवाड़ के खातों पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से मांगा जवाब

तीस्ता सीतलवाड़ के खातों पर रोक के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से मांगा जवाब

तीस्ता सीतलवाड़ (फाइल फोटो)

खास बातें

  • फ्रीज बैंक खातों को खोलने के मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी
  • तीस्ता के एनजीओ 'सबरंग ट्रस्ट' का FCRA लाइसेंस रद्द कर चुकी है सरकार
  • गुलबर्ग सोसायटी से जुड़े म्यूजियम के चंदे में हेराफेरी का है आरोप
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके ट्रस्ट के फ्रीज बैंक खातों को खोलने की याचिका पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने तीस्ता को गुजरात सरकार को याचिका की कॉपी देने को भी कहा है। मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को होगी।

तीस्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल मे कहा कि गुजरात पुलिस ने तीस्ता के दो निजी खातों के अलावा सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस संगठन का बैंक खाता भी फ्रीज कर दिया है, जबकि आरोप सबरंग ट्रस्ट पर लगे हैं। सबरंग का खाता भी फ्रीज है, वहीं गुजरात सरकार की ओर से कहा गया कि उन्हें याचिका की कॉपी नहीं मिली है।

चंदे में हेराफेरी का केस
तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद पर 2002 के गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में हुई तबाही की याद में म्यूजियम बनाने के लिए एकत्र किए गए चंदे में हेराफेरी का केस दर्ज किया गया है। गुजरात हाई कोर्ट ने दोनों की अग्रिम जमानत अर्जी रद्द कर दी थी, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसने उन्हें अग्रिम जमानत दी है। तब से यह केस तीन सदस्यीय पीठ द्वारा सुनवाई के लिए लंबित है। इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने खातों को डिफ्रीज करने से इंकार कर दिया था।

सरकार ने रद्द कर दिया था FCRA लाइसेंस
जून में केंद्र सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के एनजीओ 'सबरंग ट्रस्ट' का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया था, जिससे अब उनका एनजीओ विदेशी चंदा हासिल नहीं कर सकेगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर कहा था कि केंद्र सरकार ने तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद की ओर से संचालित एनजीओ 'सबरंग ट्रस्ट' का स्थायी पंजीकरण तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। सरकार ने दलील दी थी कि विदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) के तहत एनजीओ की ओर से प्राप्त विदेशी चंदों का इस्तेमाल उन उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा रहा था, जिनके लिए उसे किया जाना चाहिए था।


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