यह ख़बर 17 अगस्त, 2011 को प्रकाशित हुई थी

मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा : जस्टिस सेन

खास बातें

  • राज्यसभा में बुधवार को पहली बार किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग चलाने की कार्यवाही के लिए सदन को अदालत में बदल दिया गया।
नई दिल्ली:

राज्यसभा में बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के जज सौमित्र सेन के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही के साथ इतिहास रचा गया जिसमें सेन ने कहा कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है और धन की हेराफेरी के आरोप पूर्व प्रधान न्यायाधीश केजी बालकृष्णन की ओर से पूर्व निर्धारित तरीके से लगाए गए हैं। राज्यसभा में बुधवार को पहली बार किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग चलाने की कार्यवाही के लिए सदन को अदालत में बदल दिया गया। उच्च सदन में करीब दो घंटे तक अपने बचाव में 53 वर्षीय सेन ने न्याय की गुहार की। मार्क्‍सवादी नेता सीताराम येचुरी और विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने इस संबंध में सदन में प्रस्ताव पेश किए, जिसके बाद कार्यवाही शुरू की गई। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बी सुदर्शन रेड्डी की अध्यक्षता वाली जांच कमेटी ने सेन को कदाचार का दोषी ठहराया था। समिति ने उन्हें एक मामले में अदालत द्वारा नियुक्त रिसीवर के तौर पर धन की हेराफेरी का दोषी ठहराया था। मामला 1983 में एक विवाद में सेल से जुड़े धन का है। प्रस्ताव में न्यायमूर्ति सेन को हटाने की मांग की गई। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत लगभग सभी 245 सदस्य सदन में मौजूद थे और सभापति हामिद अंसारी ने न्यायमूर्ति सेन को विशेष रूप से बनाए गए बार में बुलाया। जैसे ही कार्यवाही शुरू होने वाली थी अंसारी ने मार्शलों से कहा, क्या न्यायमूर्ति सेन मौजूद हैं? उन्हें सदन के बार में लाया जाए। प्रस्ताव के बाद सदन की ओर से न्यायमूर्ति सेन को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया। करीब दो घंटे तक अपना पक्ष पेश करते हुए उन्होंने अपने को पूर्णत: निर्दोष बताया। उन्होंने कहा, मैंने कानून के अनुरूप सभी उपायों का रास्ता अपनाया। मैं यहां न्याय पाने के लिए आया हूं। यदि आप मेरे खिलाफ महाभियोग को मंजूर करते हैं, तो यह अभी तक का सबसे बड़ा अन्याय होगा। कोई भी फैसला पूरी तरह से सोच समझ कर करिए, क्योंकि यह मेरे जीवन, मेरे अस्तित्व से जुड़ा सवाल है। उन्होंने पूर्व प्रधान न्यायाधीश बालकृष्णन को मामले में जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि वह मामले में आरोपी, अभियोजक और न्यायाधीश बन गए। सेन ने कहा कि यदि उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर भी दिया गया, तो भी वह यही कहेंगे कि उन्होंने धन की हेराफेरी नहीं की है। मुझे न्यायपालिका की स्वच्छता के नाम पर बलि का बकरा बनाया गया। येचुरी ने कहा कि वह वेदना के भाव के साथ प्रस्ताव रख रहे हैं, वहीं जेटली ने कहा कि सेन सदन को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। जेटली ने कहा कि सेन ने न्यायाधीशों के जांच आयोग को दिग्भ्रमित किया है और आज भी राज्यसभा में अपने बचाव में ऐसा कर रहे हैं। येचुरी ने इन प्रस्तावों को पेश करते हुए कहा कि इन्हें पेश करने का मकसद न्यायपालिका के खिलाफ कोई टिप्पणी करना नहीं है। यह प्रस्ताव एक व्यक्ति के खिलाफ है, जिसने धन की हेराफेरी की है। हम चाहते हैं कि न्यायमूर्ति सेन के खिलाफ जांच करने वाली समिति की रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए, ताकि किसी को न्यायपालिका की ईमानदारी पर अंगुली उठाने का मौका नहीं मिले। गौरतलब है कि राज्यसभा के सभापति द्वारा न्यायमूर्ति सेन के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच के लिए जो जांच समिति नियुक्त की गई थी, उसमें न्यायमूर्ति सुदर्शन रेड्डी, न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल और प्रख्यात विधिवेत्ता फाली एस नारीमन शामिल थे। उक्त समिति ने अपनी रिपोर्ट में न्यायमूर्ति सेन को हटाए जाने की सिफारिश की थी। यह दूसरा अवसर है जब संसद में किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू हुई है। इससे पहले 1993 में लोकसभा में न्यायमूर्ति रामास्वामी के खिलाफ महाभियोग का मामला चला था, लेकिन कांग्रेस के मत विभाजन में भाग नहीं लेने के कारण वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। न्यायमूर्ति सेन ने यहां तक कहा कि एक न्यायाधीश की छवि को नुकसान पहुंचाना न्यायपालिका की छवि को नुकसान पहुंचाने के समान है। इससे पूर्व सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए येचुरी ने कहा कि यह एक संयोग है कि जब पूरा देश भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उद्वेलित है, राज्यसभा में एक न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू हो रही है, जिन्हें समिति ने धन की हेराफेरी में लिप्त पाया है। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति सेन के खिलाफ आरोप असंदिग्ध रूप से सही पाए गए हैं। मार्क्‍सवादी नेता येचुरी ने कहा कि न्यायमूर्ति सेन के खिलाफ भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। उन्होंने कहा कि राज्यसभा के 58 सदस्यों द्वारा प्रस्ताव को अनुमोदित किए जाने के बाद ही किसी न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू हो सकती है। येचुरी ने कहा कि हमें देश के लोगों को यह भरोसा दिलाना चाहिए कि हम (संसद) भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं। जेटली ने कहा कि महाभियोग की कार्यवाही एक दुर्लभतम मामला है, जिसमें व्यक्ति को हटाकर न्यायाधीश के पद के सम्मान की रक्षा की जाती है। उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति सेन के खिलाफ धन की हेराफेरी का मामला निस्संदेह रूप से साबित हो चुका है और उन्होंने सदन में कई तथ्यों को सामने नहीं रखा। जेटली ने कहा कि अभी तक न्यायमूर्ति सेन के खिलाफ जो भी जांच हुई है, उसमें उनका यह रुख रहा है कि पहले उनके खिलाफ आरोप साबित किए जाए, उसके बाद ही वह अपना पक्ष रखेंगे। इससे पूर्व न्यायमूर्ति सेन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा, उन्हें दोषी ठहराने का निर्णय काफी पहले ही कर लिया गया था क्योंकि उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें आरोपों से बरी करने के बावजूद उनके खिलाफ जांच की गई।


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