भूमि विधेयक पर सरकार के अंदर ही उठी विरोध की आवाज, शिवसेना ने दिखाई लाल झंडी

फाइल फोटो

मुंबई:

भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर एनडीए सरकार के अंदर से ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं। केंद्र की बीजेपी नीत सरकार की महत्वपूर्ण सहयोगी शिवसेना ने मौजूदा स्वरूप में विधेयक का विरोध किया है। हालांकि सरकार ने संकेत दिए हैं कि किसानों की चिंताओं पर गौर करते हुए विधेयक में संशोधन किए जा सकते हैं।

कृषि मंत्री बीरेंद्र सिंह द्वारा लोकसभा में आज लगभग समूचे विपक्ष के वाकआउट के बीच भूमि अधिग्रहण विधेयक को पेश किए जाने के साथ ही सरकार के भीतर और बाहर गहन विचार विमर्श की प्रक्रिया दिनभर जारी रही।

इस विधेयक को लेकर आज राजधानी में दिनभर घटनाएं आकार लेती रहीं, जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधेयक के विरोध में सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आंदोलन में शिरकत की।

किसानों का कहना है कि विधेयक में परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण करने से पहले 70 फीसदी जमीन मालिकों की सहमति का प्रावधान होना चाहिए और साथ ही इसके सामाजिक प्रभाव के आकलन को जरूरी बनाया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई मंत्रियों ने इस बात के पर्याप्त संकेत दिए कि किसानों की चिंताओं का संज्ञान लेने के लिए कार्रवाई की जा रही है और विधेयक में बदलाव किए जा सकते हैं।

बीजेपी संसदीय दल की बैठक में मोदी ने यह साफ कर दिया कि कानून पर कदम पीछे नहीं खींचे जाएंगे, लेकिन सरकार किसानों के हितों में सुझावों पर गौर करने को तैयार है।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा को बताया कि सरकार कोई रास्ता निकालने के लिए सभी पक्षों से विचार विमर्श की इच्छुक है। उधर गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलने वाले किसानों के प्रतिनिधियों ने दावा किया कि सरकार ने कानून बनाते समय उनकी चिंताओं को ध्यान में रखने का आश्वासन दिया है।

हालांकि बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी और लोकसभा में 18 सांसदों के साथ एनडीए की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना सार्वजनिक रूप से नए विधेयक के विरोध में उतर आई। राज्यसभा में उसके तीन सांसद हैं।

संसदीय मामलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू द्वारा बुलाई गई एनडीए सांसदों की बैठक में शिवसेना के तीन सांसदों के शामिल होने के बीच पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बयान जारी कर कहा, 'शिवसेना द्वारा ऐसे किसी कानून का समर्थन करने का कोई सवाल ही नहीं उठता जो किसानों के हितों के खिलाफ हो।'

ठाकरे ने कहा कि शिवसेना किसानों का गला दबाने का 'पाप' नहीं कर सकती। उन्होंने साथ ही बीजेपी से कहा कि ये किसान ही थे जो उसे सत्ता में लेकर आए हैं।

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उधर, बैठक में नायडू ने एनडीए सांसदों को नए कानून के प्रावधानों के बारे में जानकारी दी और उनकी कुछ गलतफहमियों को दूर करते हुए कहा कि इस संबंध में विपक्ष द्वारा दुष्प्रचार अभियान चलाया जा रहा है। इस सारी कवायद का मकसद कानून को अधिक प्रभावी बनाने के लिए सांसदों से सुझाव और प्रतिक्रिया हासिल करना था।