यह ख़बर 11 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

कानून और रेल के साथ सिब्बल, जोशी को मिला छवि सुधारने का भी जिम्मा

खास बातें

  • कपिल सिब्बल और सीपी जोशी अपने मौजूदा मंत्रालयों यानी संचार एवं सूचना तकनीक तथा परिवहन एवं राजमार्ग की जिम्मेदारी भी संभालते रहेंगे।
नई दिल्ली:

कपिल सिब्बल को कानून मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, जबकि सीपी जोशी को रेल मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी गई है। सिब्बल और जोशी अपने मौजूदा मंत्रालयों यानी संचार एवं सूचना तकनीक तथा परिवहन एवं राजमार्ग की जिम्मेदारी भी संभालते रहेंगे।

प्रख्यात वकील सिब्बल को कानून मंत्रालय का काम देखने का पहली बार मौका मिलेगा, जबकि सीपी जोशी को इससे पहले भी पिछले साल रेल मंत्रालय का प्रभार अस्थायी तौर पर तब दिया गया था, जब तृणमूल कांग्रेस नेता मुकुल रॉय ने उनकी पार्टी द्वारा यूपीए सरकार से हटने के बाद त्यागपत्र दे दिया था।

मंत्रालयों में बदलाव इन अटकलों के बावजूद हुआ है कि केंद्रीय मंत्रियों के विभागों में फेरबदल हो सकता है, ताकि डीएमके के सरकार से हटने के बाद खाली हुई जगहों तथा अतिरिक्त प्रभार वाले मंत्रियों की जगह नए लोगों को प्रभार दिया जा सके।

रेल मंत्री के पद से पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री के पद से अश्विनी कुमार ने शुक्रवार रात को अपने-अपने इस्तीफे प्रधानमंत्री को सौंप दिए थे। रेलवे रिश्वतकांड और कोयला घोटाले की आंच ने केंद्र के इन दोनों मंत्रियों को इस्तीफे के लिए मजबूर कर दिया। इससे पहले सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी और दोनों के बीच करीब एक घंटे तक बैठक चली थी। रात में जैसे ही पवन बंसल प्रधानमंत्री के आवास से निकले, बाहर खड़ी मीडिया की भीड़ ने उनके इस्तीफे के बारे में तीर सा सवाल दागा, जिस पर बंसल ने कहा, यस। उधर, कानून मंत्री अश्विनी कुमार अभी अंदर ही थे, लेकिन थोड़ी देर बाद उनके इस्तीफे की खबर भी बाहर आ गई।

इससे पहले, शुक्रवार दिन से ही रेलमंत्री बंसल के इस्तीफे  की खबर जोर पकड़ने लगी थी। हालांकि उन्होंने आखिरी दम तक हार नहीं मानी, बकरे की पूजा तक हुई, लेकिन शाम में जब सोनिया गांधी प्रधानमंत्री से मिलने जा पहुंचीं, तो ये संकेत मिलने लगे कि सारे टोटके बेकार गए। पवन बंसल प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने सरकारी गाड़ी से आए और उसी से वापस लौट गए, लेकिन फर्क सिर्फ इतना था कि इस्तीफे के बाद कार पर लगी लालबत्ती बंद रही और थोड़ी देर में सरकारी कार भी वापस कर दी, रही बात मंत्रालय की, तो वहां से वह शाम में ही अपना सामान समेट चुके थे।

दरअसल, सोनिया गांधी ने यह साफ कर दिया था कि सरकार की बिगड़ती छवि की कीमत पर ये दोनों मंत्री कतई मंजूर नहीं। गौरतलब है कि पिछले हफ्ते बंसल के भांजे विजय सिंगला को रेलवे बोर्ड के एक सदस्य की ओर से दी गई कथित रिश्वत की रकम के तौर पर 90 लाख रुपये स्वीकार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। रेलवे बोर्ड के सदस्य को तरक्की का वादा किया गया था। बंसल के इस्तीफे के कुछ ही देर बाद कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले की जांच पर सीबीआई रिपोर्ट में फेरबदल को लेकर हमले का सामना कर रहे कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात की और अपना इस्तीफा सौंपा।

अपने इस्तीफा पत्र में बंसल ने उल्लेख किया है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनका भांजा विजय सिंगला रेलवे बोर्ड सदस्य महेश कुमार के संपर्क में था, फिर भी उन्होंने इस्तीफा देना उचित समझा। उन्होंने कहा है कि वह आरोपों की तेजी से जांच चाहते हैं। अश्विनी कुमार ने अपने इस्तीफा पत्र में कहा है कि अनावश्यक विवाद और जनता में किसी गलत धारणा को खत्म करने के लिए वह इस्तीफा दे रहे हैं। उनका कहना था कि उच्चतम न्यायालय ने उनके खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

कांग्रेस ने पहले पवन बंसल और अश्विनी कुमार के मुद्दे को शांत करने का फैसला किया था, लेकिन अपनी और सरकार की छवि को लगातार नुकसान होता देख पार्टी ने कार्रवाई का फैसला किया। सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह ने फैसला इसलिए किया, क्योंकि पार्टी में इस बाबत असहजता पैदा हो रही थी कि दोनों मंत्रियों के पद पर बने रहने से सरकार की साख को नुकसान हो रहा है। पिछले तीन साल में सरकार पर कई घोटालों के आरोप लगे हैं और वह कई विवादों में भी रही है।