यह ख़बर 06 दिसंबर, 2011 को प्रकाशित हुई थी

सोशल नेटवर्किंग साइटों पर सरकार 'सख्त'

खास बातें

  • केंद्र सरकार ने फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट को चेतावनी दी है कि वे अपनी साइट से 'आपत्तिजनक' सामग्रियां हटा लें।
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट को चेतावनी दी है कि वे अपनी साइट से 'आपत्तिजनक' सामग्रियां हटा लें, वरना सरकार इस दिशा में कदम उठाएगी। सरकार के इस रुख से इंटरनेट प्रेमियों में इन साइट को प्रतिबंधित किए जाने का अंदेशा हो गया है और इसके विरोध में स्वर भी उठने लगे हैं। केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने सोशल नेटवर्किंग साइट को यह चेतावनी सोमवार को फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और माइक्रोसॉफ्ट के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में दी। मंगलवार को संवाददाताओं से बातचीत में सिब्बल ने कहा, "साइट पर पोस्ट की जाने वाली सामग्रियों से बहुत से समुदायों की धार्मिक भावना और गणमान्य लोगों के सम्मान को ठेस पहुंच रही है।" उन्होंने कहा, "किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति की व्यंग्यात्मक तस्वीर का कोई बुरा नहीं मानता, लेकिन यदि आप मुझे एक निश्चित रूप में दिखाएंगे तो यह स्वीकार नहीं है। अन्य लोगों की भी रक्षा की जानी चाहिए।" सिब्बल ने यह भी कहा कि सोशल नेटवर्किंग साइट के अधिकारियों से उन्होंने पहली बार पांच सितम्बर को मुलाकात कर साइट पर इसके इस्तेमालकर्ताओं द्वारा आपत्तिजनक सामग्री डाले जाने को लेकर सरकार की चिंताओं से अवगत कराया था। उन्होंने कहा, "उन्हें हमें आंकड़े देने होंगे। इसके बाद हम कदम उठाएंगे। हम उनसे सूचना देने के लिए कहेंगे। इससे निपटने के लिए हमें समय दें। लेकिन एक चीज साफ है कि हम इस तरह की सामग्रियों की अनुमति नहीं देंगे।" सिब्बल ने हालांकि यह नहीं कहा कि सरकार इस दिशा में क्या कदम उठा सकती है। इस बीच, सोशल नेटवर्किंग साइट के प्रतिनिधियों ने इस पर सवाल उठाए हैं कि कौन सी सामग्री 'आपत्तिजनक' होगी, इसका फैसला कैसे हो? उनका यह भी कहना है कि साइट पर डाली जानी वाली एक-एक सामग्री पर नजर रखना मुश्किल है। फेसबुक की ओर से मंगलवार को जारी बयान में कहा गया है, "हम उस सामग्री को हटाएंगे जो हमारी शर्तों का उल्लंघन करते हैं। इनमें नफरत फैलानी वाली, धमकाने वाली, हिंसा फैलाने वाली अथवा नग्नावस्था वाली तस्वीर जैसी सामग्रियां शामिल हैं।" कम्पनी ने यह भी कहा कि वह इस सम्बंध में केंद्र सरकार की चिंताओं से वाकिफ है और भारतीय अधिकारियों के साथ आगे भी बातचीत करेगी। वहीं, गूगल ने कहा कि विवादास्पद तथा गैर-कानूनी सामग्रियों के बीच भेद किए जाने की जरूरत है। कम्पनी के प्रवक्ता ने कहा, जो भी सामग्री कानून के खिलाफ होती है उसे टीम द्वारा हटा दिया जाता है। लेकिन यदि सामग्री विवादास्पद होने के बावजूद वैध हो तो इसे नहीं हटाया जाता, क्योंकि गूगल सभी तरह के विचारों का सम्मान करता है। अधिकारियों के अनुसार, सोशल नेटवर्किंग साइट के प्रतिनिधियों से पांच सितम्बर की सिब्बल की मुलाकात में उन्हें वह तस्वीर दिखाई गई थी जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गलत ढंग से दिखाया गया है, जबकि कुछ अन्य तस्वीरें धार्मिक भावना आहत करने वाली थीं। इसके बाद केंद्रीय संचार विभाग के सचिव आर. चंद्रशेखर ने भी 19 अक्टूबर को इन कम्पनियों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी और यह निर्णय लिया गया था कि इस तरह की सामग्रियों को लेकर आचार संहिता बनाई जाएगी। लेकिन वे मौखिक रूप से कई धाराओं पर सहमत हुए, पर लिखित जवाब में उन्होंने किसी भी धारा से सहमति नहीं जताई। उन्होंने कहा कि वे तभी कोई कदम उठाएंगी जब मंत्रालय अदालत का आदेश लेकर आए। उधर, सरकार के इस रुख से इंटरनेट प्रेमियों में ऐसी साइट पर प्रतिबंध लगाने की आशंका बलवती हो गई। इसके विरोध में स्वर भी उठने लगे हैं। राज्यसभा सांसद व उद्योगपति राजीव चंद्रशेखर ने कहा, कि सिब्बल भारत में इंटरनेट पर नियंत्रण का चीनी मॉडल लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन वह इसमें सफल नहीं होंगे। वहीं, जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि वह ऑनलाइन सामग्रियों पर प्रतिबंध के खिलाफ हैं लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अक्सर दुरुपयोग किया जाता है। माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर उमर ने लिखा, "यदि सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट पर प्रतिबंध की पहल होती है तो मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में खड़ा होऊंगा, लेकिन यह उन स्वतंत्रताओं में से एक है जिसने दुर्भाग्यवश मुझे चिंतित किया है।"


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