यह ख़बर 06 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

विवाद के बाद जीतन मांझी के दामाद ने दिया इस्तीफा, कहा, अब मैं बेरोजगार हूं

फाइल फोटो

पटना:

बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार मामला उनके दामाद को अपना पर्सनल असिस्टेंट बनाने का है। बताया जा रहा है कि मांझी ने नियम कायदों का ताक पर रखते हुए अपने इंजीनियर दामाद देवेंद्र कुमार को अपना पीए बनाया, हालांकि विवाद बढ़ने के बाद उनके दामाद ने बुधवार रात को इस्तीफा दे दिया था।

इस्तीफे के बाद दामाद देवेंद्र मांझी ने एनडीटीवी से कहा कि मैंने विवादों की वजह से इस्तीफा दिया है। मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा और मेरी प्रतिष्ठा की भी बात थी। अब मैं बेरोज़गार हूं।

देवेंद्र कुमार का दावा है कि वह 2006 में जीतन राम मांझी के नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद से ही उनके पीए के रूप में काम करते आ रहे हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बयान दिया है कि उन्हें मुख्यमंत्री के दामाद होने का काफी फायदा मिला है।

गौरतलब है कि मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग द्वारा इसी वर्ष जून महीने में जारी एक अधिसूचना के अनुसार, मांझी ने अपने दामाद कुमार को अपने निजी सहायक के तौर पर नियुक्त किया था। मांझी के एक अन्य रिश्तेदार सत्येंद्र कुमार को भी आदेशपाल के तौर पर नियुक्त किया गया।

मांझी के दामाद और उनके रिश्तेदार को क्रमश: उनका निजी सहायक और आदेशपाल नियुक्त किया जाना राज्य सरकार के 23 मई 2000 को जारी विभागीय आदेश का उल्लंघन है, जिसमें यह कहा गया था कि सरकार ने निर्णय लिया है कि मंत्री, राज्य मंत्री अथवा उपमंत्री के सगे-संबंधी उनके आप्त सचिव या निजी कर्मी के रूप में नहीं नियुक्त किए जाएंगे।

मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के तत्कालीन सचिव गिरीश शंकर द्वारा हस्ताक्षरित उक्त अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि यह महसूस किया गया है कि यदि मंत्री, राज्य मंत्री अथवा उपमंत्री के सगे-संबंधी उनके आप्तसचिव अथवा निजी कर्मी के रूप में नियुक्त हो जाएं तो उससे सरकारी कामकाज प्रभावित होने की आशंका है।

अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि यदि किसी मामले में सगे-संबंधी की नियुक्ति हो गई हो तो उसे तत्काल समाप्त कर दिया जाए।

पटना स्थित पुराने सचिवालय में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मांझी से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा था कि हम लोगों पर इस तरह के आरोप लगते रहते हैं। यह कोई मुद्दा नहीं है। पत्रकारों ने जब कहा कि यह सरकार के साल 2000 के एक आदेश का उल्लंघन है तो मांझी ने कहा ‘वह इसे देख लेंगे।

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इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि इससे परिलक्षित होता है कि जदयू सरकार में कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है।