एनडीटीवी एक्‍सक्‍लूसिव : सोनिया-राहुल ने बताया, GST के इन मुद्दों पर नहीं हो सकता समझौता

एनडीटीवी एक्‍सक्‍लूसिव : सोनिया-राहुल ने बताया, GST के इन मुद्दों पर नहीं हो सकता समझौता

नई दिल्‍ली:

वस्‍तु और सेवा कर (जीएसटी) पर सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध टूटने का नाम नहीं ले रहा। कांग्रेस के शीर्ष नेता सोनिया और राहुल गांधी ने एनडीटीवी से कहा है कि जीएसटी बिल से जुड़े तीन मुद्दे ऐसे हैं जिन पर उनकी पार्टी कोई भी समझौता नहीं कर सकती। बातचीत के दौरान इन दोनों नेताओं ने केंद्रीय वित्‍त मंत्री अरुण जेटली के इस दावे पर भी निशाना साधा कि उन्‍होंने (वित्‍त मंत्री ने) इस मसले पर कांग्रेस के हर नेता से बात की है।

जेटली की उनसे मुलाकात पर दोनों नेताओं ने कहा, 'वित्‍त मंत्री आए थे और हमें अपनी बेटी की शादी का निमंत्रण दिया। यह एक व्‍यक्तिगत कॉल था।' कांग्रेस नेताओं ने उस मुद्दों के बारे में भी बात की जिन पर उनकी पार्टी समझौता करने को तैयार नहीं है। ये हैं-निर्माताओं पर एक फीसदी टेक्‍स, जीएसटी के लिए 18 फीसदी का  संवैधानिक कैप और जीएसटी के लिए एक स्‍वतंत्र विवाद समाधान मैकेनिज्‍म। उन्‍होंने कहा कि जब तक सरकार इस पर प्रतिक्रिया नहीं देती, हम कोई समझौता नहीं करेंगे।

जेटली ने जताई थी उम्‍मीद
गौरतलब है कि वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को एनडीटीवी से बातचीत में कहा था कि वे आशान्वित हैं कि जीएसटी बिल संसद के इस सत्र में पास हो जाएगा। इस बारे में बातचीत के जरिये सहमति बनाई जा सकती है। संख्‍या जीएसटी बिल के पक्ष में है और ज्‍यादातर पार्टियों ने इसका समर्थन किया है। कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी के इस आरोप कि सरकार ने सहमति बनाने की दिशा में विपक्ष से बात नहीं की है, जेटली ने कहा था कि पिछले संसद सत्र में जीएसटी पर कांग्रेस के हर नेता से बात हुई थी। मेरी कांग्रेस संसदीय दल के नेताओं से भी विस्‍तार से बात हुई है।

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राज्‍यसभा में सरकार के पास नहीं है बहुमत
इस सवाल पर कि उनकी पार्टी आर्थिक सुधार की राह में रोड़ा बन नहीं है, राहुल ने कहा, 'क्‍या हम जीएसटी चाहते हैं? हम जीएसटी पर समझौता करने को तैयार हैं? हम जीएसटी पर बात करने को तैयार हैं? निश्चित रूप से। क्‍या हम बस किनारे किए जाने के लिए इसे स्‍वीकार कर लें। हरगिज नहीं।' गौरतलब है कि राज्‍यसभा में जीएसटी बिल को पास कराने के लिए केंद्र सरकार को कांग्रेस के समर्थन की जरूरत है। उच्‍च सदन अर्थात राज्‍यसभा में सरकार अल्‍पमत में हैं। सकरार की मंशा इस बिल को अप्रैल 2016 से लागू कराने की है लेकिन यदि बिल संसद के शीत सत्र में पास नहीं हो पाया तो इस डेडलाइन को आगे बढ़ाना पड़ेगा।