सपा में 'साइकिल' सिंबल पर संघर्ष के चलते कांग्रेस में इसलिए बढ़ी बेचैनी...

सपा में 'साइकिल' सिंबल पर संघर्ष के चलते कांग्रेस में इसलिए बढ़ी बेचैनी...

अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी एक- दूसरे की तारीफ करते रहे हैं

खास बातें

  • दोनों पक्ष गठबंधन के देते रहे हैं संकेत
  • अखिलेश ने भी दिए हैं संकेत
  • कांग्रेस को चुनावी नुकसान का भी सता रहा डर
नई दिल्‍ली:

सपा में चुनाव निशान 'साइकिल' पर दावेदारी को लेकर अखिलेश गुट और मुलायम गुट चुनाव आयोग पहुंचे हैं. अखिलेश ने जहां छह बक्‍सों में दस्‍तावेज पेश कर सिंबल अपनी दावेदारी पेश भी कर दी है. वहीं दूसरी ओर सुलह के आसार खत्‍म होने पर मुलायम खेमा भी आज आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखेगा. वैसे तो यह एक पार्टी का अंदरूनी मामला है लेकिन इससे कांग्रेस में खासा बेचैनी बढ़ गई है.

उसकी एक बड़ी वजह यह है कि यूपी चुनाव के पहले चरण की अधिसूचना 17 जनवरी को जारी होने जा रही है. उससे पहले ही आयोग को सिंबल की दावेदारी का मामला सुलझाना होगा. यदि उस अवधि तक अंतिम निर्णय नहीं निकल पाता है तो संभवतया आयोग अंतरिम आदेश जारी कर दोनों पक्षों को चुनाव लड़ने के लिए अलग-अलग निशान दे सकता है. इसी बात से कांग्रेस चिंतित हो गई है.

कांग्रेस की आस
ऐसे में कांग्रेस की आस इस बात पर टिकी है कि साइकिल सिंबल को आयोग फ्रीज कर दे. ऐसे में दोनों ही पक्षों को नए सिंबल पर लड़ना होगा तब इस सूरतेहाल में मुलायम के पास साइकिल सिंबल नहीं होने पर उनको लाभ की गुंजाइश कम होगी और तब उनको भी उसका प्रचार-प्रसार करने के लिए अखिलेश की तरह ही कम समय मिलेगा. तब अखिलेश की लोकप्रियता का चुनावी लाभ पूरी तरह से उठाया जा सकेगा. कांग्रेस अखिलेश की इसी इमेज के चलते उनसे गठजोड़ की संभावना तलाश रही है क्‍योंकि पिछले 28 वर्षों से सत्‍ता से दूर कांग्रेस अबकी बार किसी भी सूरतेहाल में यूपी में सम्‍मानजनक स्‍थान चाहती है.
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संभवतया इसीलिए कांग्रेस ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की सेवाएं भी ली हैं. प्रशांत किशोर, अखिलेश यादव के साथ मुलाकात भी कर चुके हैं. शीला दीक्षित भी हाल में अखिलेश का समर्थन कर चुकी हैं. उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री हरीश रावत ने भी अखिलेश की तारीफ की है. इससे स्‍पष्‍ट है कि कांग्रेस, सपा के साथ गठजोड़ के पक्ष में दिख रही है. दूसरी तरफ अखिलेश भी जानते हैं कि पार्टी में मचे घमासान के चलते उनकी चुनावी राह आसान नहीं है और उनको एक सहयोगी की जरूरत है. वह दावा भी करते रहे हैं कि कांग्रेस के साथ गठजोड़ होता है तो वे 300 सीटें भी हासिल कर सकते हैं. लेकिन फिलहाल सपा में सिंबल के संघर्ष ने कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है.
 
मुलायम की चुनौती
दरअसल सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के अंदरखाने चर्चा चल रही है कि यदि सपा का मौजूदा 'साइकिल' निशान अखिलेश खेमे को नहीं मिल पाता है तो इससे चुनाव में उनके खेमे के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है. कांग्रेस, अखिलेश की स्‍वच्‍छ छवि, ईमानदार और विकासपरक इमेज के चलते उनसे ही गठजोड़ का संकेत भी देती रही है तो ऐसे में अब पार्टी को लग रहा है कि यदि अखिलेश को यह सिंबल नहीं मिला और पिता मुलायम को मिला तो इससे अखिलेश की राह मुश्किल होगी. उसका कारण यह है कि चुनावों की पहले ही घोषणा हो चुकी है और इसलिए अब यदि अखिलेश को नए सिंबल के साथ चुनावी मैदान में उतरना पड़ा तो इतने बड़े प्रदेश में इसके समुचित प्रचार के लिए उनके पास पर्याप्‍त वक्‍त नहीं है. वहीं दूसरी ओर मुलायम खेमे को साइकिल सिंबल मिलने पर वह परंपरागत वोटों के लिहाज से सेंधमारी कर सकते हैं और अखिलेश को खासा नुकसान पहुंचा सकते हैं.

हालांकि यह भी सही है कि नफे-नुकसान की रणनीति के तहत औपचारिक रूप से दोनों ही पक्ष अभी खुलकर कुछ भी नहीं कह रहे हैं. संभवतया इसीलिए कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष राज बब्‍बर ने रविवार को कहा कि पार्टी सभी 403 सीटों पर प्रत्‍याशियों का चुनाव कर रही है. वहीं दूसरी ओर अखिलेश खेमे की तरफ से रामगोपाल यादव ने कहा कि उनकी मुख्‍यमंत्री से ना ही इस मसले पर कोई बात हुई है और अखिलेश यादव ने भी अपनी तरफ से कुछ नहीं कहा है.


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