खास रिपोर्ट : आइए समझें इंदौर में कैसे व्यापक हुआ व्यापमं

खास रिपोर्ट : आइए समझें इंदौर में कैसे व्यापक हुआ व्यापमं

इंदौर का अरबिंदो कॉलेज

इंदौर:

इंदौर का अरबिंदो कॉलेज आजकल पुलिस की जांच के घेरे में है। इसका मालिक विनोद भंडारी भी सलाखों के पीछे है। इस कॉलेज में सबसे ज्यादा वीआईपी लोगों के बच्चे पढ़ते हैं।

डॉ आनंद राय जो इस मामले एक व्हिसिलब्लोअर हैं उनका कहना हैकि उन्होंने सबूत दिए थे जिसकी बिनाह पर एसटीएफ ने विनोद भंडारी को गिरफ्तार किया था। उनका दावा है कि इस फर्जीवाडे के जरिए मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा की बेटी का दाखिला भी हुआ था।

कैसे खुला राज
दरअसल इस कॉलेज में भर्ती घोटाला 2005 में ही सामने आ गया था। अदालत के निर्देश के विरुद्ध यहां मनमर्जी से भर्तियों का सिलसिला चला जिस पर एक शख़्स वीके जैन ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में एक मानहानि याचिका दायर की।

बता दें कि डॉ वीके जैन अपने बेटे का दाखिला मेडिकल कॉलेज में चाहते लेकिन नहीं मिल पाया। दरअसल 2005 में कोर्ट से निर्देश हुआ था कि 90 फीसदी बच्चे पीएमटी परीक्षा से आएंगे और 10 फीसदी मैनेजमेंट कोटा के होंगे। लेकिन कोर्ट के आदेश के धता बताते हुए अरबिंदो कॉलेज ने 72 बच्चे ही पीएमटी से एडमिट किए और बाकी 18 फीसदी सीटों के लिए कुछ अभिभावक ने कोर्ट में केस दाखिल किया और डॉ वीके जैन इनमें प्रमुख रहे। लेकिन याचिका दायर करने के बाद उनकी भी मौत हो गई। याचिका में कई बड़े लोगों के बच्चों के गलत दाख़िलों का आरोप है।
वीआईपी लोगों के बच्चों को मिला दाखिला
याचिका में कहा गया है कि इन दाखिलों में एक डीआईजी रैंक के अफसर की बेटी को दाखिला मिला और एक एमएलए के बेटे को दाखिला मिला। साथ ही याचिका में बताया गया है कि इस एमएलए के बेटे के 12वीं में मात्र 42 प्रतिशत अंक थे। यहां यह भी कहा गया कि एक कांग्रेस नेता के बेटे का दाखिला में ऐसे ही माध्यम से किया गया।

पेटिशन रिवाइज करने की तैयारी
अब इस मामले में आनंद राय दुबारा जान डालने की कोशिश में हैं। आनंद राय का कहना है कि अब वह इसे फिर से देख रहे हैं और पेटिशन को दोबारा रिवाइज करवाएंगे।

50 लाख और 40 लाख में बिकी सीटें
लोगों का ये खुला आरोप है कि यहां मेडिकल की सीटें बिकती रही हैं। मेरिट में आने के लिए 53 लाख रुपये लगते थे और सिर्फ सीट के लिए 40 लाख रुपये देने होते थे।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

अब शायद ये पूरा मामला नए सिरे से खुले। व्यापम घोटाले में संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, साथ ही सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी दलों के नेताओं के नाम भी सामने आ रहे हैं। यह घोटाला ये भी बता रहा है कि मेहनत के जरिए कुछ हासिल करने की इच्छा रखने वालों की ख्वाहिश मात्र सपना ही है और वह पूरी जिंदगी अपने भाग्य को ही कोसते रह जाएंगे।