पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हुए BSF जवान गुरमान सिंह के पिता बोले- मुझे खुशी है मेरा बेटा शहीद हुआ

पाकिस्तानी गोलीबारी में शहीद हुए BSF जवान गुरमान सिंह के पिता बोले- मुझे खुशी है मेरा बेटा शहीद हुआ

बीएसएफ के जवान गुरनाम सिंह (फाइल फोटो)

खास बातें

  • बीएसएफ के जवान गुरनाम सिंह का जम्मू के अस्पताल चल रहा था इलाज
  • हीरानगर सेक्टर में पाक घुसपैठियों की सूचना सबसे पहले गुरनाम ने दी थी
  • पाक रेंजर्स ने गुरनाम को निशाना बनाया और वह जख्मी हो गए थे
हीरानगर, जम्मू:

सीमा पर अपनी जान की बाजी लगाकर पाकिस्तानी घुसपैठियों की साजिश नाकाम के दौरान गंभीर रूप से घायल हुए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जांबाज जवान गुरनाम सिंह ने शनिवार देर रात दम तोड़ दिया. गुरनाम के सिर पर गोली लगी थी. गंभीर रूप से घायल होने के बाद उन्हें जम्मू के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

पुलिस के अनुसार 26 साल के इस जांबाज ने सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में रात करीब 11:45 बजे अंतिम सांस ली. इसी अस्पताल में शुक्रवार से उनका इलाज चल रहा था.

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वहीं जम्मू में बीएसएफ के आईजी डीके उपाध्याय ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि इस बहादुर जवान पर हमें नाज है, गर्व है.जिस बहादुरी के साथ गुरनाम दुश्मनों के साथ लड़ा है वो काबिले-तारीफ है.


शहीद जवान गुरनाम के पिता कुलबीर सिंह कहते हैं, 'वह बहादुर था. हमारे बेटे ने देश के लिए अपने जान की कुर्बानी दी, कोई दुख नहीं... बल्कि हम सब खुश हैं.' हालांकि इसके साथ ही वह घायल सैनिकों के लिए अच्छे अस्पताल की जरूरत पर भी जोर देते हुए कहते हैं, 'हम एक अच्छा अस्पताल चाहते हैं, जहां सारी जरूरी सुविधाएं मौजूद हो.'
वहीं गुरनाम की मां जसवंत कौर ने कहा, 'उसने मुझे कहा था कि अगर मैं मर जाऊं तो रोना मत. मैं रोयी नहीं. मुझे इन सारे जवानों पर गर्व है, जो देश के लिए अपनी जान देते हैं. मैं बस यही चाहती थी कि उसे बेहतरीन इलाज मिलता.'
बीते 19-20 अक्टूबर की रात गुरनाम सिंह जम्मू के हीरानगर सेक्टर के बोबिया पोस्ट पर तैनात थे. अचानक पौने बारह बजे उनकी नजर सरहद पार हो रही कुछ हलचल पर पड़ती है. 150 मीटर की दूरी पर कुछ धुंधले चेहरे दिखने लगते हैं. बिना देर किए गुरनाम अपने साथियों को अलर्ट करते हैं. ललकारने पर पता चला कि वे आतंकी हैं, फिर क्या था दोनों ओर से गोलाबारी शुरू हो गई, जिसके बाद आतंकी भाग खड़े हुए. तब तक दूसरी ओर तैनात पाकिस्तानी रेंजर्स को पता लग चुका था कि गुरनाम ही वह मुख्य सिपाही है, जिसकी वजह से उसे मुंह की खानी पड़ी.

21 अक्टूबर को सुबह 9.45 बजे रेंजर्स ने बदला लेने के ख्याल से स्नाइपर रायफल्स से उस पर फायर किया. ऐसा रायफल जिससे काफी दूर से सटीक निशाना साधा जा सकता है. गोली सीधे निशाने पर गुरनाम को लगी. इसके बावजूद गुरनाम ने हथियार नहीं डाले, बल्कि रेंजर्स पर फायरिंग करते रहे.

गौरतलब है कि गुरनाम के घायल होने के बाद बीएसएफ ने जवाबी कार्रवाई की, जिसमें सात पाकिस्तानी रेंजर्स और एक आतंकी मारा गया. पांच साल पहले बीएसएफ में शामिल हुए, सिख परिवार में जन्मे गुरनाम जम्मू के रणवीरसिंह पुरा इलाके के रहने वाले हैं. गुरनाम की दिली ख्वाहिश थी कि बीएसएफ में शामिल हो. इनके भाई और इनके बहन अपने आदर्श की तरह देखते हैं.

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