सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, दोषी करार किये जाने वाले सांसद-विधायक 'सीधे' अयोग्‍य क्‍यों न करार दिये जायें

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, दोषी करार किये जाने वाले सांसद-विधायक 'सीधे' अयोग्‍य क्‍यों न करार दिये जायें

प्रतीकात्‍मक फोटो

खास बातें

  • कोर्ट ने मामले में चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया
  • एक NGO ने इस मामले में कोर्ट में लगाई है याचिका
  • कहा-कोर्ट का आदेश आते ही अयोग्‍य करार होने चाहिए जनप्रतिनिधि
नई दिल्‍ली:

सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक लहजे में पूछा है कि दोषी करार दिए जाने वाले सांसदों/विधायकों को 'आटोमैटिक' अयोग्य क्यों  न करार दिया जाए। कोर्ट ने इस संबंध में  चुनाव आयोग को नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि दागी और दोषी करार दिए गए विधायकों ओर सांसदों की सदस्यता रद्द करने के फैसले को लागू करने में देरी क्यों हो रही है। चुनाव  चुनाव आयोग से यह भी पूछा गया है कि अगर कोई सांसद और विधायक किसी मामले में दोषी पाया जाता है तो सदस्यता रद्द करने को लेकर क्या नई अधिसूचना जारी करने की जरूरत है ?

शीर्ष अदालत ने एक NGO की याचिका पर यह कदम उठाया है। याचिकाकर्ता NGO लोकप्रहरी का कहना है कि जब सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ गया तो ऐसे दागी दोषी करार होते ही अयोग्य करार होने चाहिए लेकिन नोटिफिकेशन में देरी होने की वजह से ये नहीं हो रहा है। याचिकाकर्ता  NGO ने कहा है कि ऐसे में चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह  कोर्ट के दोषी करार देने का आदेश आते ही सदस्यता रद्द करे न कि सदन की रिपोर्ट का इंतजार करे।

याचिका में कहा गया है कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें कोर्ट के आदेश में सांसद और विधायक को दोषी पाए जाने के बाद भी उनको अयोग्य नहीं करार दिया गया जबकि सुप्रीम कोर्ट का ही 2013 का यह आदेश है कि अगर कोई सांसद और विधायक को आपराधिक मामले में दो साल से ज्यादा सजा होती है या भ्रष्‍टाचार के मामले में सिर्फ दोषी करार दिया जाए तो उसकी सदस्यता रद्द की जानी चाहिए।


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