राज्यपाल की ड्यूटी लोकतंत्र चलाना, न कि इसे चोट पहुंचाना : अरुणाचल मामले पर सुप्रीम कोर्ट

राज्यपाल की ड्यूटी लोकतंत्र चलाना, न कि इसे चोट पहुंचाना : अरुणाचल मामले पर सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्यपाल को संविधान के तहत काम करना होता है। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने स्पीकर को विधानसभा सत्र के पहले बुलाने का संदेश कैसे भेजा?

पांच जजों की संविधान पीठ के सामने सुनवाई के दौरान राज्यपाल के वकील ने कहा कि स्पीकर की भूमिका संदेह के घेरे में थी और राज्यपाल को लग रहा था कि वह मुख्यमंत्री के पक्ष में कदम उठाएंगे और मुख्यमंत्री बहुमत खो चुके थे। वकीलों ने कहा कि राज्यपाल ने स्पीकर पर लगे आरोपों पर कुछ नहीं किया बल्कि यह काम विधानसभा पर छोड़ा था।

इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल को इससे कोई लेना-देना नहीं है कि किसे बहुमत मिलेगा। राज्यपाल आशंका के आधार पर कदम नहीं उठा सकता। राज्यपाल की डयूटी लोकतंत्र को सही से चलाने में है ना कि लोकतंत्र पर डेंट लगाने में।

राज्यपाल के वकीलों ने दलील दी कि जब मुख्यमंत्री राज्यपाल से मिलने गए थे तो दो विधायकों ने उनसे धक्का-मुक्की की थी। ऐसे मे राज्य में लोकतंत्र कहां बचा था। राज्यपाल ने कदम उठाया, क्योंकि स्पीकर मुख्यमंत्री को बहुमत दिलाने में मदद करने की कोशिश कर रहे थे।

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कोर्ट की कही मुख्य बातें
- सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल से फिर पूछे सवाल
- कहा, क्यों भेजा स्पीकर को पहले सत्र बुलाने का संदेश
- राज्यपाल की डयूटी लोकतंत्र चलाने की, चोट पहुंचाने की नहीं
- राज्यपाल ने कहा, राज्य में नहीं बचा था लोकतंत्र