तमिलनाडु सरकार ने राजीव के हत्यारों की रिहाई का फैसला सही ठहराया

तमिलनाडु सरकार ने राजीव के हत्यारों की रिहाई का फैसला सही ठहराया

नई दिल्ली:

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के फैसले को तामिलनाडु सरकार ने जनता का फैसला बताते हुए सही ठहराया है।

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में  कहा कि राजीव गांधी के हत्यारों को यूपीए सरकार जब सत्ता में थी, तो न तो वह फांसी देना चाहती थी और न ही विपक्षी पार्टी ने इसके लिए कोई आवाज उठाई थी। किसी भी सरकार ने उन्हें फांसी पर लटकाने की इच्छा शक्ति नहीं दिखाई थी। अब उन्हें उम्रकैद हो चुकी है ऐसे में उन्हें कब तक जेल में रखा जाए।

तमिलनाडु सरकार की ओर से दलील दी गई कि इस मामले में उन लोगों की फांसी की सजा उम्रकैद में तब्दील हो चुकी है। इस तरह का जीवन कैसा होगा जिसमें कोई आशा ही न हो। तमिलनाडु सरकार की ओर से केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज किया गया जिसमें कहा गया था कि राज्य सरकार ने मनमाना फैसला लिया है।

राज्य सरकार के वकील ने चीफ जस्टिस एच. एल. दत्तू की अगुवाई वाली संवैधानिक पीठ के सामने दलील दी कि 10 साल यूपीए की सरकार थी और मुख्य विक्टिम फैमिली, सत्ता में सहभागी थी। एनडीए विपक्ष में था लेकिन फिर भी मामले को ठंडे बस्ते में रखा गया। हालांकि इस दौरान दया याचिका पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने  कहा कि क्या बार-बार ऐसी याचिका दाखिल की जा सकती हैं।

राजीव गांधी हत्याकांड में मौत की सजा से राहत पाने वाले सभी दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ में सुनवाई जारी है।

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दरअसल राज्य सरकार ने राजीव गांधी हत्याकांड में मौत की सजा से दया याचिका के निपटारे में देरी के कारण सुप्रीम कोर्ट से राहत पाने वाले सभी दोषियों संथन, मुरुगन ,पेरारीवलन और उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन, रॉबर्ट पायस, रविचंद्रन और जयकुमार को रिहा करने का आदेश दिया था। केंद्र सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद कोर्ट ने रिहाई पर रोक लगा दी थी।