यह ख़बर 04 जुलाई, 2011 को प्रकाशित हुई थी

कांग्रेस के 39, तेदेपा के 34 विधायकों का इस्तीफा

खास बातें

  • पृथक तेलंगाना के मुद्दे पर 10 कांग्रेसी सांसदों और 39 विधायकों तथा तेदेपा के 34 विधायकों ने सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया।
Hyderabad:

पृथक तेलंगाना के मुद्दे पर जल्द फैसला करने का केंद्र पर दबाव बढ़ाते हुए क्षेत्र के 10 कांग्रेस सांसदों और 39 विधायकों तथा तेदेपा के 34 विधायकों ने सोमवार को सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने वालों में आंध्र प्रदेश के 11 मंत्री भी शामिल हैं। केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने इस्तीफा देने वाले सांसदों-विधायकों को संयम बरतने का संदेश देते हुए कहा कि सलाह-मशविरे की प्रक्रिया जारी है। लेकिन इसके बावजूद तेलंगाना समर्थक नेता इन इस्तीफों के जरिए अपने आंदोलन को आज नये स्तर पर ले गए। कांग्रेस के सात सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार से नई दिल्ली में मुलाकात कर अपने इस्तीफे सौंप दिए। इन सांसदों ने दो और लोकसभा सदस्यों के इस्तीफे सौंपे जो दिल्ली नहीं आ सके थे। राज्यसभा सदस्य के केशव राव ने भी सभापति हामिद अंसारी के विशेष कार्याधिकारी से मुलाकात कर अपना इस्तीफा सौंप दिया। उधर, हैदराबाद में कांग्रेस के 11 मंत्रियों सहित 39 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस विधायकों के साथ तेदेपा के भी 34 विधायकों ने त्याग-पत्र दिया है। तेलंगाना क्षेत्र में सांसदों-विधायकों के अभियान का नेतृत्व कर रहे राव ने इन आलोचनाओं को खारिज कर दिया कि इस्तीफे दिखावे का हथकंडा हैं। उन्होंने कहा कि ये नेता खुद को तेलंगाना की जनता से जोड़ रहे हैं जो तुरंत पृथक राज्य का गठन चाहती है। उन्होंने बताया, केंद्र ने नौ दिसम्बर 2009 को पृथक तेलंगाना राज्य की वस्तुत: घोषणा कर दी थी लेकिन उसने घोषणा पर कार्यान्वयन नहीं किया। हम उन्हें मनाते आ रहे हैं। अब हम तेलंगाना की जनता के समक्ष असहाय महसूस कर रहे हैं। यह पूछने पर कि क्या सांसद अपने इस्तीफे वापस ले लेंगे, राव ने कहा कि अगर इस मुद्दे पर कांग्रेस आलाकमान से एक समयबद्धता के साथ ठोस आश्वासन मिले तो फैसले की समीक्षा की जा सकती है। राज्य की 294 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के तेलंगाना क्षेत्र के 50 विधायक हैं, जबकि तेदेपा के 36 और टीआरएस के 11 विधायक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। सदन में कांग्रेस सदस्यों की संख्या 155 है। विधानसभा सदस्यता से उपाध्यक्ष मल्लू भट्टी विक्रमार्का को अपने इस्तीफे सौंपने के बाद मंत्रियों का एक समूह मुख्यमंत्री एन किरण कुमार रेड्डी के दफ्तर गया और कैबिनेट में अपने मंत्री पदों से इस्तीफे सौंप दिए। उप मुख्यमंत्री दामोदर राजनरसिंह सहित तेलंगाना क्षेत्र के चार अन्य मंत्रियों ने अपने साथियों के फैसले के विपरीत इस्तीफा नहीं दिया। पांच मंत्री जना रेड्डी, जे गीता रेड्डी, पोन्नाला लक्ष्मैया, कोमाटीरेड्डी वेंकट रेड्डी और बासवराज सरैया ने विधानसभा उपाध्यक्ष को निजी तौर पर अपना इस्तीफा सौंपा। सरैया अपने साथ छह अन्य मंत्रियों के भी इस्तीफे लाए थे। वरिष्ठ मंत्री के जेना रेड्डी ने कांग्रेस के केंद्रीय नेताओं से बातचीत करने दिल्ली रवाना होने से पहले कहा, हमारे इस्तीफे न तो कांग्रेस आलाकमान की नाफरमानी करने के लिए है और न ही राज्य में कोई राजनीतिक या संवैधानिक संकट खड़ा करने के लिये। इस्तीफों के मायने सिर्फ तेलंगाना की जनता की आकांक्षाओं से कांग्रेस आलाकमान तथा भारत सरकार को अवगत कराने के लिए हैं। रेड्डी ने कहा कि तेलंगाना क्षेत्र के विधायक पृथक राज्य के संकट का समाधान तलाशने के लिये सिर्फ अपरिहार्य परिस्थितियों में इस्तीफे दे रहे हैं। मुख्यमंत्री के साथ बैठक के बाद मंत्री सुनीता लक्ष्मा रेड्डी ने कहा कि उन्होंने उन बाध्यताओं के बारे में स्पष्टीकरण दिया, जिनके चलते मंत्रियों को भी इस्तीफे देने पड़े हैं।


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