मॉनसून की कमी झेल रहे राज्यों में बज रही है खतरे की घंटी!

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

हाल के दिनों में उत्तर भारत में बारिश के बावजूद मॉनसून खेती के लिहाज से कई अहम राज्यों में काफी कमज़ोर रहा है। मौसम विभाग के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, तटीय कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के रायलसीमा इलाकों में 1 जून से 15 जुलाई के बीच 20 से 59 फ़ीसदी तक औसत से कम बारिश हुई है।
 
अगर राज्यों के प्रभावित इलाकों पर नज़र डालें तो महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में 15 जुलाई तक बारिश औसत से 44% कम हुई है, जबकि मध्य महाराष्ट्र में बारिश में अब तक 30% तक की गिरावट दर्ज़ हुई है। जबकि बिहार में सामान्य से 23% कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। उत्तरी कर्नाटक में सामान्य से 32% कम, तटीय कर्नाटक में 26% कम और केरल में 15 जुलाई तक औसत से 32% कम बारिश हुई है।
 
मौसम विभाग के निदेशक बीपी यादव के मुताबिक इन प्रभावित राज्यों में पिछले दो हफ्तों में मॉनसून के हालात कमज़ोर रहे हैं और बारिश कम हुई है।
 
कृषि के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण राज्यों में औसत से कम बारिश का सीधा मतलब है कि इन राज्यों में किसानों को इस मॉनसून सीज़न में जितना पानी मिलता था सिंचाई के लिए वो इस बार नहीं मिल पाया है। औरंगाबाद के किसानों को अब भी अपनी ज़मीन पर बारिश की बूंदों का इंतज़ार है। कुएं सूखते जा रहे हैं। और पानी नहीं बरसने से नुकसान भी शुरू हो गया है।
 
किसान आपा साहेब डांगा कहते हैं, 'मैंने फसल लगा ली थी लेकिन पानी नहीं आने से फसल खराब हो गयी...बैंक का कर्ज भी है मुझपर।' जबकि किसान इलियास बेग कहते हैं, 'मराठवाड़ा इलाके में किसानों की हालत गंभीर बनी हुई है। किसान कर्ज़ में डूबता जा रहा है। उनकी हालत खराब है।'
 
दरअसल ऐसे ही हालात उन सभी राज्यों में उभर रहे हैं जहां बारिश औसत से काफी कम हुई है।  मौसम विभाग के मुताबिक गुजरात और महाराष्ट्र के ज़िलों में अगले एक हफ्ते में सामान्य से काफी कम बारिश होने की संभावना है, अब आने वाले दो महीनों में अगर मॉनसून के हालात नहीं सुधरे तो किसानों पर संकट के बादल और गहरा जाएंगे।


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