दाल ने किया रसोई का बुरा हाल, 64% तक बढ़ी कीमतें

दाल ने किया रसोई का बुरा हाल, 64% तक बढ़ी कीमतें

नई दिल्ली:

पिछले एक साल में यू तो महंगाई दर में काफी गिरावट देखने को मिली है, लेकिन दाल की कीमतें सरकार के लिए सिरदर्द बनी हुई हैं। खाद्य मंत्रालय की प्राइस मॉनिटरिंग सेल के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक, 26 मई 2014 से 22 मई 2015 के बीच दिल्ली में उड़द दाल 71 रुपये प्रति किलो से बढ़ कर 109 प्रति किलो यानी 54% महंगी हो गई।

यही ट्रैंड अरहर की कीमतों में भी दिखा। अरहर दाल पिछले साल 26 मई 2014 को 75 प्रति किलो थी, जो 22 मई 2015 को बढ़ कर 108 रूपये प्रति किलो हो गई, यानी 44% की बढ़ोत्तरी। चना दाल पिछले एक साल में 50 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 68 प्रति किलो यानी 36% महंगी हुई और मसूर दाल इस दौरान 70 प्रति किलो से 94 प्रति किलो यानी 35% महंगी हुई।

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए माना की दाल की कीमतें सरकार के लिए एक चुनौती है। जेटली ने कहा, 'एक समस्या दालों को लेकर है। क्योंकि फसल (खराब होने का) असर पड़ा है... (उस पर) अंतरराष्ट्रीय कीमतों का भी असर पड़ता है। इसलिए प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने मीटिंग ली है जिससे सप्लाई बढ़े और उसके दामों में नियंत्रण आए'।

दाल की कीमतों में आई उछाल को समझने हम पहुंचे दिल्ली के नया बाजार पहुंचे। दाल व्यापारी हरीश दशकों से इस व्यापार से जुड़े हैं। वह कहते हैं पैदावार कम हुई तो बाजार में माल भी कम पहुंचा। हाल में ओला वृष्टि और भारी बारिश ने भी काफी फसल बर्बाद कर दी। नतीजा ये हुआ कि बाज़ार में माल कम पहुंचा और कीमतें बढ़ती चली गईं।

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रही सही कसर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में दाल की बढ़ी हुई कीमतों ने पूरी कर दीं, क्योंकि बाहर से दाल आयात करना भी महंगा सौदा साबित हुआ। इस दौरान रुपया भी डॉलर के मुकाबले कमज़ोर हुआ। अब दाल व्यापारियों की आशंका है कि आने वाले दिनों में दाल और महंगा होगा।