EXCLUSIVE : सपा में संग्राम और पार्टी ऑफिस पर कब्‍जे की लड़ाई के बीच अखिलेश यादव का नया हेडक्‍वार्टर तैयार

EXCLUSIVE : सपा में संग्राम और पार्टी ऑफिस पर कब्‍जे की लड़ाई के बीच अखिलेश यादव का नया हेडक्‍वार्टर तैयार

अखिलेश खेमा नए वॉर रूम (पार्टी हेडक्‍वार्टर) को विकसित करने में जुटा है.

खास बातें

  • सपा में वर्चस्‍व को लेकर मची है घमासान
  • पार्टी मुख्‍यालय पर कब्‍जे को लेकर जारी है तनातनी
  • अखिलेश खेमा विकसित कर रहा वार-रूम
लखनऊ:

समाजवादी पार्टी के दो फाड़ होने और अखिलेश गुट और मुलायम खेमे में पार्टी के विभाजित होने के बाद दोनों धड़ों में पार्टी के हेडक्‍वार्टर पर कब्‍जे को लेकर तनातनी का माहौल है. रविवार को मुलायम सिंह सपा मुख्‍यालय पहुंचे और वहां पर ताला लगाकर चाबियां लेकर दिल्‍ली चले गए. ऐसे में लखनऊ में सपा के भीतर पूरी तरह से राजनीतिक क्षितिज को बदलने की कवायद में जुटे अखिलेश खेमा चुनावी तैयारियों के लिहाज से अपने लिए नए वॉर रूम (पार्टी हेडक्‍वार्टर) का निर्माण को विकसित करने में जुटा है. सपा के मुख्‍यालय से महज कुछ फीट की दूरी पर एक बेहद आकर्षक दो मंजिला बंगला है. अखिलेश समर्थक अब इसी को अपने पार्टी मुख्‍यालय के रूप में इस्‍तेमाल करने जा रहे हैं.

डार्क वुक इंटीरियर, मार्बल के फ्लोर वाली टेरेस वाली यह खूबसूरत सफेद इमारत अखिलेश यादव के नए कंट्रोल टॉवर के रूप में उभरी है. इमारत के जीर्णोद्धार से जुड़े अखिलेश यादव के एक नजदीकी सूत्र ने कहा कि पूरा निर्माण-कार्य 'वास्‍तु को ध्‍यान में रखते हुए' किया गया है. उन्‍होंने यह भी कहा, ''दोनों टीमों के अलग-अलग पास में काम करने के लिहाज से यह उपयुक्‍त है और साथ में नेताजी और अखिलेश खेमे के बीच बुनियादी कनेक्‍ट बनाए रखने के लिए लिहाज से भी यह सपा मुख्‍यालय के पास है.'' हालांकि मौजूदा सियासी परिस्थितियां बताती हैं कि यह लिंक तो अब टूट गया है.
 

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मुख्‍यमंत्री की सोशल मीडिया टीम के लिए यहां अलग सेक्‍शन मौजूद है.

यह नई इमारत दशकों पुरानी है. इसमें एक बड़ी लाईब्रेरी, चौड़े कॉरीडोर और कई बगीचे हैं. मुख्‍यमंत्री की सोशल मीडिया टीम के लिए अलग सेक्‍शन यहां मौजूद है. यहां पर वे लोग अपने कामों में व्‍यस्‍त हैं जिन्‍होंने पिता की तुलना में मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव के प्रति वफादारी दिखाई है. यहां मौजूद एक पार्टी नेता ने सपा में मचे घमासान पर नाम न छापने की शर्त पर कहा,''हम इसमें क्‍या कर सकते हैं? अब चुनाव इतने नजदीक हैं और ये सब हो रहा है. लेकिन नेताजी को समझना चाहिए...हम उनका सम्‍मान करते हैं, उनका मार्गदर्शन चाहते हैं लेकिन अब समय बदल गया है. अब मुख्‍यमंत्री को ही अंतिम निर्णय लेने का अधिकार होना चाहिए.''  

उल्‍लेखनीय है कि अक्‍टूबर में इस बंगले में जनेश्‍वर मिश्र ट्रस्‍ट के ऑफिस का उद्घाटन किया था. अखिलेश इस ट्रस्‍ट के चेयरमैन थे. ''छोटे लोहिया'' के नाम से मशहूर जनेश्‍वर मिश्र के नाम से इस ट्रस्‍ट का गठन 2013 में हुआ था उसके लिए 2015 में यह बंगला आवंटित किया गया था. इससे पहले यह बंगला टाउस प्‍लानिंग डिपार्टमेंट का ऑफिस था.

पिछले तीन महीनों में जब से यादव परिवार में घमासान मचा है तब से यह 7 बंदरिया बाग का बंगला मोटे अनुमान के मुताबिक एक करोड़ की लागत से रेनोवेट किया गया है और तब से ही अखिलेश यादव समर्थकों के लिए वार-रूम का काम कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक मुख्‍यमंत्री ने जो प्रत्‍याशियों की सूची जारी की उसको भी यहीं तैयार किया गया था. उल्‍लेखनीय है कि मुलायम सिंह ने जो प्रत्‍याशियों की सूची जारी की थी, उसी के समानांतर अखिलेश ने सूची जारी की थी.

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