यह ख़बर 08 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

पीएम की क्षमता पर 'टाइम' ने उठाए सवाल, बताया 'अंडरअचीवर'

खास बातें

  • प्रतिष्ठित 'टाइम' पत्रिका ने देश की सुस्त आर्थिक विकास के लिए प्रधानमंत्री और उनकी सरकार की आलोचना की है। यह आलोचना कांग्रेस को रास नहीं आई वहीं इसने भाजपा को प्रधानमंत्री पर हमले का एक और मौका दे दिया जो उनके पहले कार्यकाल से ही उन्हें कमजोर साबित करने म
न्यूयॉर्क:

प्रतिष्ठित 'टाइम' पत्रिका ने देश की सुस्त आर्थिक विकास के लिए प्रधानमंत्री और उनकी सरकार की आलोचना की है। यह आलोचना कांग्रेस को रास नहीं आई वहीं इसने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को प्रधानमंत्री पर हमले का एक और मौका दे दिया जो उनके पहले कार्यकाल से ही उन्हें कमजोर साबित करने में लगी हुई है।

पत्रिका ने प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह की क्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वह निर्णायक ढंग से काम करने में विफल रहे हैं।

पत्रिका ने 16 जुलाई, 2012 के अपने एशिया संस्करण के अंक में प्रधानमंत्री की तस्वीर प्रकाशित की है। 79 वर्षीय मनमोहन सिंह की तस्वीर के नीचे लिखा है, "अंडरअचीवर (फिसड्डी)। भारत को नए सिरे से शुरुआत करने की आवश्यकता है। क्या प्रधानमंत्री यह काम कर पाएंगे?"

'अ मैन इन शैडो' शीर्षक से प्रकाशित पत्रिका के आमुख लेख में कहा गया है कि प्रधानमंत्री सुधारों पर 'जोखिम लेने के इच्छुक नहीं' हैं, जिससे देश विकास के पथ पर अग्रसर होगा।

पत्रिका का यह अंक अगले सप्ताह बाजार में आएगा। इसमें कहा गया है, "घरेलू व अंतरराष्ट्रीय निवेशकों में निराशा पैदा हो रही है। महंगाई के कारण मतदाताओं का भी विश्वास डिग रहा है। एक के बाद एक सामने आ रहे घोटालों ने सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।"

पत्रिका में कहा गया है, "मनमोहन, जिस पर विपक्षी दल नीतिगत फैसलों में रुकावट डालने का आरोप लगाते हैं, अपने मंत्रियों पर नियंत्रण करने में विफल रहे। अब वित्त मंत्रालय का प्रभार अपने पास होने के बावजूद वह आर्थिक सुधारों पर जोखिम लेने के इच्छुक नजर नहीं आते।"

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद मंत्रालय का प्रभार प्रधानमंत्री के पास है।

पत्रिका ने लिखा है, "ऐसे में जबकि आर्थिक विकास में सुस्ती भारत के लिए ठीक नहीं है; वे कानून, जो नौकरियों का सृजन व विकास का मार्ग खोल सकते थे, संसद में अटके हैं। राजनेताओं ने चुनाव जिताऊ लघुकालिक तथा लोकप्रिय साधनों पर ध्यान केंद्रित कर रखा है, जो चिंता का कारण है।"

ज्ञात हो कि 31 मार्च, 2012 को समाप्त हुई तिमाही में देश की विकास दर नौ वर्षो के सबसे निचले स्तर 5.3 प्रतिशत पर पहुंच गई। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वर्ष 2011-12 में गिरकर 6.5 प्रतिशत हो गया, जबकि इससे पहले के वर्ष में यह 8.4 प्रतिशत था।

भाजपा ने मनमोहन सिंह की आलोचना पर कहा कि इससे संप्रग सरकार को लेकर लोगों की भावनाएं पुष्ट हो गई हैं।

'टाइम' पत्रिका द्वारा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रदर्शन को उम्मीद से कम बताने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के प्रवक्ता तरुण विजय ने कहा कि इससे आम भारतीयों की भावना पुष्ट हो गई है।

पार्टी उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने केवल भ्रष्टाचार, घोटाले तथा कुशासन के क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल की है।

प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए नकवी ने कहा, "पत्रिका को उन्हें (मनमोहन को) दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में बताना चाहिए था, क्योंकि उनके जैसा प्रधानमंत्री कोई नहीं है, जो सर्वाधिक भ्रष्ट सरकार में सबसे अधिक विश्वासपात्र हैं। स्वयं को ईमानदार व विश्वासपात्र के रूप में पेश करने वाले प्रधानमंत्री भ्रष्ट तथा घोटालों से घिरी सरकार का नेतृत्व करते हैं। निश्चित रूप से उन्होंने भ्रष्टाचार, घोटाला तथा कुशासन के अतिरिक्त कुछ भी हासिल नहीं किया है।"

वहीं, भाजपा के सहयोगी जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष शरद यादव ने इस पर बिल्कुल अलग प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "टाइम पत्रिका क्या है? इसका हमसे क्या लेना-देना है? ईस्ट इंडिया कम्पनी की तरह उनका उद्देश्य भी हमें लूटना है।"

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इस आलोचना से कांग्रेस भड़क गई है। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, "पिछले आठ साल में मनमोहन सिंह की अगुवाई में सरकार ने राजनीतिक स्थिरता सामाजिक सद्भाव और आर्थिक वृद्धि प्रदान की है और साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश को मजबूती दिलाई है। इसे कल्पना के किसी भी पैमाने पर उम्मीद से कम उपलब्धि नहीं कहा जा सकता।"