अगर टीपू सुल्तान हिन्दू होते, तो उन्हें शिवाजी जैसा ही दर्जा मिलता : गिरीश कर्नाड

अगर टीपू सुल्तान हिन्दू होते, तो उन्हें शिवाजी जैसा ही दर्जा मिलता : गिरीश कर्नाड

टीपू सुल्तान की तस्वीर

बेंगलुरू:

ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित नाटककार और अभिनेता गिरीश कर्नाड ने कहा कि 18वीं सदी के मैसूर के शासक टीपू सुल्तान अगर मुस्लिम नहीं हिन्दू होते तो उन्हें मराठा शासक छत्रपति शिवाजी के समान दर्जा मिलता।

कर्नाड ने एक अन्य विवादित बयान में कहा कि 'उचित' होता अगर देवनहल्ली में बेंगलुरू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम केमपेगौड़ा के बदले टीपू सुल्तान के नाम पर होता। केमपेगौड़ा विजयनगर साम्राज्य के तहत जागीरदार थे, जिन्होंने 1537 में बेंगलुरू की स्थापना की थी।

कर्नाड ने कहा, 'मैं महसूस करता हूं कि अगर टीपू सुल्तान मुस्लिम नहीं हिन्दू होते तो उन्हें कर्नाटक में वही दर्जा मिलता जो महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज को प्राप्त है।' उन्होंने कहा कि टीपू को उनकी धार्मिक आस्था के कारण यह सम्मान नहीं मिला। 'क्योंकि आज यह हो रहा है कि हमारे विद्वान और नेता किसी का धर्म और जाति पहले देखते हैं..।' उन्होंने कहा, 'इस प्रकार के मूल्यांकन के कारण टीपू सुल्तान के साथ अन्याय हुआ है..।'

मशहूर कन्नड़ नाटककार और अभिनेता की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब राज्य सरकार ने टीपू सुल्तान की जयंती पर समारोहों का आयोजन किया है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की मौजूदगी में यहां राज्य सचिवालय में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच कार्यक्रम का आयोजन किया गया। बीजेपी राज्यव्यापी समारोहों का बहिष्कार कर रही है। कई संगठनों ने भी इसका विरोध किया है, जिनकी नजर में टीपू सुल्तान 'धार्मिक रूप से कट्टर और कन्नड़ विरोधी' थे। प्रदर्शनों के बीच कोडागु जिले के मदिकेरी में हुयी हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई।

टीपू सुल्तान को 'कन्नड़ विरोधी और हिन्दू विरोधी' कहने वालों पर निशाना साधते हुए कर्नाड ने कहा, 'आज, हम यह दिन दीपावली और टीपू सुल्तान दिवस के रूप में मना रहे हैं, हम इसे बिहार दिवस के तौर पर भी मना सकते हैं।' बिहार दिवस संबंधी उनकी टिप्पणी साफ तौर से बीजेपी पर निशाना था, जिसे बिहार विधानसभा चुनाव में भारी हार का सामना करना पड़ा है। कर्नाड बीजेपी का वैचारिक विरोध करते रहे हैं।

कर्नाड की राय के समान ही विचार व्यक्त करते हुए सिद्धरमैया ने कहा, '...अगर वह हिन्दू के रूप में पैदा होते तो कर्नाटक और पूरे देश में उन्हें वही सम्मान मिलता जो शिवाजी को मिलता है।' उन्होंने कहा, 'हमें किसी व्यक्ति को उसके धर्म या जाति के नजरिये से नहीं, बल्कि लोगों के लिए उनके द्वारा कराए गए अच्छे काम को ध्यान में रखकर देखना चाहिए।'

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इसके साथ ही कर्नाड ने कहा कि अच्छा होता कि देवनहल्ली के बेंगलुरू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम केमपेगौड़ा के बदले टीपू सुल्तान के नाम पर रखा जाता, क्योंकि केमपेगौड़ा स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। उन्होंने कहा कि हवाई अड्डा का नाम टीपू सुल्तान के नाम पर रखना अधिक उचित होगा, क्योंकि देवनहल्ली उनका जन्मस्थान था। कर्नाड ने कहा, 'मैं इस बात से अवगत हूं कि मैं जो कह रहा हूं, उस पर बहस होगी... जैसा कि हम जानते हैं कि कोलकाता हवाई अड्डे का नाम नेताजी सुभाषचंद्र बोस के नाम पर है, मुंबई हवाईअड्डे का नाम शिवाजी महाराज के नाम पर है, लेकिन कर्नाटक में हमने इसका नाम केमपेगौड़ा के नाम पर रखा है।' हवाई अड्डे के नाम को लेकर कर्नाड की टिप्पणी पर भाजपा ने निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने बेगलुरू के संस्थापक का ऐसे मुद्दे पर अपमान किया है, जो 'बंद अध्याय' है।