खास बातें
- फ्रांसीसी रक्षा कॉन्ट्रैक्टर DCNS द्वारा तैयार पनडुब्बियों की जानकारी लीक
- लीक हुए दस्तावेज़ों पर 'रेस्ट्रिक्टिड स्कॉरपीन इंडिया' लिखा हुआ है
- नई भारतीय सबमरीन फ्लीट की युद्धक क्षमता के बारे में विस्तृत जानकारी मौजूद
सिडनी: भारतीय नौसेना के लिए तैयार की गई स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बी की युद्धक क्षमता से जुड़ी गुप्त जानकारी लीक हो गई है. फ्रांसीसी रक्षा सौदों के कॉन्ट्रैक्टर डीसीएनएस द्वारा डिज़ाइन की गई और भारत में मझगांव डॉक पर बनाई जा रही इस पनडुब्बी से जुड़े लीक की जानकारी एक ऑस्ट्रेलियाई दैनिक ने बुधवार को दी.
दैनिक के अनुसार उसे पनडुब्बी से जुड़ी गोपनीय जानकारी वाले लीक हो चुके 22,400 पृष्ठ, जिन पर 'रेस्ट्रिक्टिड स्कॉर्पीन इंडिया' (Restricted Scorpene India) लिखा हुआ है, पढ़ने का मौका मिला है. ये पृष्ठ दरअसल पनडुब्बी के संचालन के लिए बनाए गए पूर्ण दस्तावेज़ (ऑपरेटिंग मैनुअल) का हिस्सा हैं.
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देखें वीडियो रिपोर्ट
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3.5 अरब अमेरिकी डॉलर के इस सौदे के तहत बनने वाली कुल छह पनडुब्बियों में से पहली आईएनएस कलवरी इस समय मुंबई में बनाई जा रही है. इन पनडुब्बियों को अपनी तरह की पनडुब्बियों में सबसे आधुनिक माना जाता है. ये पानी के भीतर इतनी कम आवाज़ करती हैं कि इनकी भनक लगना नामुमकिन न सही, बेहद मुश्किल ज़रूर होता है.
दैनिक पत्र के अनुसार, लीक हुए दस्तावेज़ों नई सबमरीन फ्लीट के युद्धक क्षमता के बारे में जानकारी मौजूद है. इसके अलावा हज़ारों पृष्ठों में पनडुब्बी के सेंसरों के बारे में और कुछ हज़ार पृष्ठों में इसके संचार तथा नेवीगेशन सिस्टमों के बारे में विस्तार से बताया गया है. लगभग 500 पृष्ठों में सिर्फ टॉरपीडो लॉन्च सिस्टम के बारे में जानकारी दी गई है.
फिलहाल इस बात को लेकर संशय बना हुआ कि दस्तावेज़ भारत में लीक हुए या फ्रांस में. दैनिक पत्र के अनुसार डीसीएनएस का कहना है कि संभव है कि दस्तावेज़ भारत में लीक हुए हों, फ्रांस में नहीं. हालांकि दैनिक पत्र ने कहा कि इन दस्तावेज़ों के बारे में माना जाता है कि वे वर्ष 2011 में फ्रांस से ही उस पूर्व फ्रांसीसी नौसेनाधिकारी ने निकाले, जो उस वक्त डीसीएनएस का सब-कॉन्ट्रैक्टर था.
इस बीच, रक्षा मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक, स्कॉर्पीनपनडुब्बियों के दस्तावेजों की संदिग्ध लीक मामले की जानकारी एक विदेशी मीडिया हाउस द्वारा दी गई है. उपलब्ध जानकारी की जांच एकीकृत मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय (नौसेना) द्वारा की जा रही है और संबंधित विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण किया जा रहा है. ऐसा प्रतीत होता है कि इस लीक का स्रोत भारत से नहीं, बल्कि विदेशों से प्राप्त हुआ है.
डीसीएनएस ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि उन्हें ऑस्ट्रेलियन प्रेस में छपी ख़बरों के बारे में पता है, और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है. डीसीएनएस के मुताबिक, "जांच में पता लगाया जाएगा कि किस तरह के दस्तावेज़ लीक हुए हैं, उनसे हमारे ग्राहकों को क्या-क्या नुकसान हो सकता है, और इस लीक के लिए कौन लोग दोषी हैं..."
समाचारपत्र के अनुसार, माना जाता है कि ऑस्ट्रेलियाई कंपनी को ईमेल किए जाने से पहले ये दस्तावेज़ दक्षिणपूर्वी एशिया में मौजूद कंपनियों के ज़रिये इधर-उधर किए जाते रहे थे.
गौरतलब है कि इसी पनडुब्बी के अन्य वेरिएंट मलेशिया और चिली इस्तेमाल करते हैं, और ब्राज़ील भी 2018 में इन्हीं को तैनात करने वाला है. इसके अलावा इसी साल अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया ने भी डीसीएनएस के साथ 50 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर का सौदा किया है, ताकि वह उनके लिए अगली पीढ़ी की कही जाने वाली पनडुब्बियां डिज़ाइन कर बना सके.
ऑस्ट्रेलिया ने पनडुब्बियों का कॉन्ट्रैक्ट डीसीएनएस को दिया है, लेकिन उनकी 12 शॉर्टफिन बैराकुडा पनडुब्बियों के लिए गुप्त युद्धक प्रणाली अमेरिका द्वारा दी जा रही है. ये पनडुब्बियां फ्रांस की 4,700 टन वाली बैराकुडा पनडुब्बियों का कम ताकत वाला संस्करण हैं. डीसीएनएस की वेबसाइट के अनुसार, नई पनडुब्बियों में फ्रांस की सर्वाधिक संवेदनशील व सुरक्षित पनडुब्बी तकनीक इस्तेमाल की जाएगी, और आज तक बनीं सभी पनडुब्बियों से ज़्यादा मारक परंपरागत पनडुब्बी साबित होगी.