तकनीक : अब रेल नहीं होगी डिरेल, पटरी टूटते ही कंट्रोल रूम को मिल जाएगा संदेश

तकनीक : अब रेल नहीं होगी डिरेल, पटरी टूटते ही कंट्रोल रूम को मिल जाएगा संदेश

ट्रेनों के डिरेल होने की घटनाओं में बीते साल काफी इजाफा हुआ, इनमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए

खास बातें

  • RDSO की पटरियों की 'निगरानी-चेतावनी प्रणाली' का परीक्षण चल रहा है
  • इस तकनीक से पटरी टूटते ही कंट्रोल रूम को संदेश मिल जाएगा
  • कानपुर में पटना-इंदौर इंटरसिटी डिरेल होने से 142 लोगों की मौत हुई थी
मथुरा:

बीते साल ट्रेनों के डिरेल होने की एक के बाद एक ख़बरें सामने आईं. इनमें बड़ी मात्रा में जान-माल का नुकसान भी हुआ. पटरी टूटने से होने वाले इन नुकसानों से सबक लेते हुए रेलवे प्रशासन इन दिनों एक ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जिसकी मदद से पटरियों में होने वाले नुकसान की सूचना तुरंत ही कंट्रोल रूम को मिल जाएगी. सूचना मिलते ही रेल प्रशासन पटरी की खराबी को दुरुस्त करके कानपुर जैसे रेल हादसों से बचा जा सकता है.

जानकारी के मुताबिक, रेल मंत्रालय के लिए डिजाइन एवं मानक तय करने वाले 'अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन' (आरडीएसओ) के द्वारा विकसित रेल पटरियों की निगरानी एवं चेतावनी प्रणाली का परीक्षण चल रहा है.

उत्तर मध्य रेलवे के इलाहाबाद मण्डल में बमरौली एवं भरवारी स्टेशनों के बीच 25 किलोमीटर लंबी रेलवे पटरी पर ऑनलाइन काम करने वाले इस उपकरण का परीक्षण किया जा रहा है.

उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक अरुण सक्सेना ने बताया कि रेल पटरी तोड़े जाने या ठण्ड के कारण उनके चटकने की शिकायतों की रोकथाम के लिए आरडीएसओ ने एक यंत्र तैयार किया है. यह यंत्र परीक्षण के लिए अभी इलाहाबाद के निकट बमरौली और भरवारी स्टेशनों के बीच 25 किलोमीटर लंबी पटरी पर लगाया गया है. रेल पटरी के किसी भी स्थिति में टूटने पर यह यंत्र इसकी जानकारी रेलवे के निगरानी तंत्र को तुरंत भेज देगा.

उन्होंने बताया कि यदि यह प्रणाली सफल होती है तो आरडीएसओ की सलाह पर रेल मंत्रालय इस उपकरण की मदद से बड़ी से बड़ी दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली भारी जान-माल की हानि से बचने के लिए अन्य क्षेत्रों में भी इस यंत्र को लगवा सकता है.


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