याकूब की फांसी पर चले शब्दों के तीर, भाजपा ने कांग्रेस से मांगा जवाब

याकूब की फांसी पर चले शब्दों के तीर, भाजपा ने कांग्रेस से मांगा जवाब

याकूब मेमन (फाइल चित्र)

नई दिल्ली:

भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मांग की है कि दिग्विजय सिंह की ट्विटर पर की गई टिप्पणी की आधिकारिक रुप से निंदा की जाए। भाजपा का कहना है कि ऐसा नहीं करने पर मान लिया जाएगा कि दिग्विजय ने पार्टी की तरफ से ही राय रखी है। बता दें कि ट्विटर पर दिग्विजय सिंह 1993 मुंबई हमले के दोषी याकूब मेमन और पूर्व राष्ट्रपति कलाम की तुलना कर  बैठे जो काफी विवाद का विषय बन बैठा।


दिग्विजय सिंह ने सिलसिलेवार ट्वीट्स में लिखा था कि उम्मीद है सरकार और न्यायपालिका ऐसी ही प्रतिबद्धता आतंक से जुड़े बाकी मामलों में भी दिखाएगी, उसे बगैर धर्म, संप्रदाय और जाति से जोड़े। एक अन्य ट्वीट में दिग्विजय ने लिखा है कि सरकार और न्यायपालिका की विश्वसनीयता दाव पर लगी है।
भाजपा के जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा है "अगर राहुल और सोनिया गांधी, दिग्विजय के विचार से सहमत नहीं हैं तो उन्हें एक औपचारिक प्रेस स्टेटमेंट के ज़रिए अपने पार्टी सदस्य के इस वक्तव्य का खंडन करना चाहिए। वरना देश, इस मामले पर की गई दिग्विजय की टिप्पणी को ही कांग्रेस पार्टी का नज़रिया मानेगा।"

गौरतलब है कि गुरुवार सुबह 1993 मुंबई बम धमाकों के आरोपी याकूब मेमन को नागपुर के सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। सोशल मीडिया पर याकूब मेमन की फांसी को लेकर जहां कुछ हस्तियां राय देने से बच रही हैं, वहीं कुछ नाम ऐसे भी हैं जो इस फैसले पर #YakubHanged के साथ अपने विचार रख रहे हैं।

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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट किया है 'इस बात से दुखी हूं कि हमारी सरकार ने एक इंसान को फांसी पर लटका दिया। राज्य प्रायोजित हत्याएं हमें हत्यारों के समकक्ष ला खड़ा करती हैं।'

 


शशि का एक और ट्वीट कहता है "हमें आतंकवाद से लड़ने के लिए कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए, लेकिन फांसी की सज़ा कभी भी आतंकी हमले को नहीं रोक पाई है।"

पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने ट्वीट में लिखा है "#YakubHanged के मामले में कानून, न्यायपालिका, कार्यकारिणी और यहां तक की सामाजिक व्यवस्था को भी कुछ ज्यादा ही लंबा खींच लिया गया। क्या हमें इससे कुछ सीखना चाहिए?"

आम आदमी पार्टी के लिए चुनाव लड़ चुकी कलाकार गुल पनाग इस मामले पर खुल कर अपनी राय रख रही हैं। उनका ट्वीट कहता है 'क्या अब मृत्यु दंड पर सभ्य तरीके से (धर्म को पीछे छोड़कर) बहस की जा सकती है? या फिर हमें एक 'हाई प्रोफाइल' केस का इंतज़ार करना होगा?