यह ख़बर 02 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

नामों के अनधिकृत खुलासे से काले धन की जांच गड़बड़ा सकती है : वित्तमंत्री अरुण जेटली

अरुण जेटली की फाइल फोटो

नई दिल्ली:

काले धन के खाताधारकों के नाम सार्वजनिक करने की मांग कर रही कांग्रेस पार्टी समेत विभिन्न पक्षों की तीखी आलोचना करते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने रविवार को कहा कि अनधिकृत तरीकों से नामों का खुलासा करने पर जांच गड़बड़ा सकती है और इसका फायदा दोषियों को मिल सकता है।

जेटली ने अपने फेसबुक पेज पर एक संदेश में कहा, 'अनधिकृत तरीके से सूचनाओं का प्रकाशन जांच व आर्थिक, दोनों लिहाज से जोखिम भरा है। इस तरह से जांच गड़बड़ा सकती है। इससे विदहोल्डिंग कर के रूप में (देश को) पाबंदी का सामना भी करना पड़ सकता है।'

उल्लेखनीय है कि जेटली की इस टिप्पणी से पहले आज ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि विदेश में जमा धन को वापस लाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

जेटली ने ऐसे लोगों पर सवाल खड़ा किया जो कर संधियों की परवाह किए बगैर नामों को उजागर करने की मांग कर रहे हैं। वित्तमंत्री ने लिखा है, 'कांग्रेस पार्टी का रवैया समझ में आता है। वह नहीं चाहती कि (काले धन की जांच के लिए गठित) एसआईटी के पास पहुंचे नामों के सिलसिले में सबूत मिलें। क्या दूसरे भी नासमझ हैं जो केवल वाहवाही लूटना चाहते हैं या वे किसी और के लिए झंडा बुलंद कर रहे हैं।'

मंत्री ने विश्वास जताया कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित एसआईटी काले धन की सच्चाई उजागर करने में कामयाब होगी। उन्होंने कहा कि मौजूदा राजग सरकार ने अपने पास उपलब्ध सारे नाम 27 जून 2014 को ही एसआईटी को सौंप दिए थे।

उन्होंने लिखा है, 'इस मामले में राजग सरकार का रिकॉर्ड अनुकरणीय है, सरकार सच्चाई की खोज में एसआईटी का पूरी तरह से और बेलाग समर्थन करेगी।' मंत्री ने लिखा है कि सरकार के सामने विकल्प यह है कि वह सूचनाओं को अनाधिकृत तरीके से जारी कर दे या उन्हें संधियों के अनुसार सामने लाया जाए। जेटली ने कहा कि दूसरा तरीका उचित और अपने हित में है।

उन्होंने कहा, 'दूसरा तरीका अपनाने से 'कानूनी व न्यायोचित तरीके से सबूतों को जुटाने में मदद मिलेगी। बिना सबूत के सूचनाएं सार्वजनिक कर देने से यह तय है कि उसके बाद सबूत कभी नहीं मिल सकेंगे।'

इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने संबोधन में कहा कि उनके लिए विदेशों से काला धन वापस लाना 'उनकी प्रतिबद्धता से जुड़ा सवाल' है और इसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

सरकार ने पिछले सप्ताह एचएसबीसी बैंक जिनीवा में खाता रखने वाले 627 भारतीयों के नाम एक सीलबंद लिफाफे में उच्चतम न्यायालय को सौंपे थे।

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विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह काले धन के मामले में अपने चुनावी वादे से मुकर रही है।