खुद को नजरअंदाज होता देख बौखलाए कांग्रेस नेता नारायण राणे

फाइल फोटो

मुंबई:

महाराष्ट्र कांग्रेस में नए अध्यक्ष के नियुक्ती पर बवाल पैदा हुआ है। कांग्रेस की केंद्रीय समिति ने प्रदेश कांग्रेस के पद पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण की नियुक्ती की है, जबकि मुंबई कांग्रेस के पद का जिम्मा पूर्व सांसद संजय निरुपम को सौंपा है।
आलाकमान के इन फैसलों पर कांग्रेस के अंदर ही सवाल उठे हैं।

प्रदेश के कांग्रेसी नेता नारायण राणे ने कहा है कि फैसला लेने से पहले वरिष्ठ नेताओं से राय-मशवरा होता तो बेहतर था। मुंबई महानगरपालिका चुनाव के मुद्दे पर मुंबई को मराठी अध्यक्ष मिलना चाहिए था।

नारायण राणे का बयान ठीक तब आया, जब अशोक चव्हाण और संजय निरुपम फोटोग्राफ़र की गुजारिश पर एक दूसरे को बधाई देते हुए मिठाई खिला रहे थे। चव्हाण पर इससे पहले आदर्श घोटाले में आरोपपत्र दायर है। साथ ही पेड न्यूज का मामला भी उनके खिलाफ़ बना हुआ है।

संवाददाता सम्मेलन में जब उन्हें राणे के बयान पर पूछा गया तो चव्हाण बोले कि राणे सिनियर नेता हैं। उनकी बात समझकर प्रतिक्रिया दूंगा। इसी दौरान उनके खिलाफ़ चल रहे मामलों की वजह से क्या विपक्ष को एक हथियार नहीं मिलेगा, इस सवाल पर पूरी जोर के साथ चव्हाण का जवाब था कि दाग धोने के लिए उन्होनें चार साल खूब मेहनत की है।

वहीं दूसरी तरफ़ अपनी नियुक्ति पर उठे सवालों का जवाब देने से बचते संजय निरुपम ने कहा कि उन्हें मराठी बनाम गैर मराठी के विवाद में ना घसीटा जाए। कभी संघ के मुखपत्र पांचजन्य से जुड़े और बाद में शिवसेना के मुखपत्र दोपहर का सामना के कार्यकारी संपादक रहे निरुपम ने बतौर कांग्रेस सांसद के रूप में अपनी एक टर्म पूरी की। हालिया लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में वह सबसे अधिक वोटों से हार चुके हैं।

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कांग्रेस में जिस तरह से उनके और चव्हाण की नियुक्ती पर सवाल उठे हैं, उससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि लोकसभा की हार के बाद पार्टी में जारी घमासान जल्द ख़त्म होने नहीं जा रहा।