अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन के फैसले पर कैबिनेट की मुहर, कांग्रेस-AAP ने की आलोचना

अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन के फैसले पर कैबिनेट की मुहर, कांग्रेस-AAP ने की आलोचना

नई दिल्ली:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रविवार को राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश कर दी है। इस बीच कैबिनेट के इस फैसले की कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने आलोचना की है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने तो इसे 'राजनीतिक असहिष्णुता' करार दिया है।

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में रविवार सुबह कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की गई है।

इस राज्य में पिछले साल 16 दिसंबर को राजनीतिक संकट शुरू हो गया था, जब कांग्रेस के 21 बागी विधायकों ने बीजेपी के 11 सदस्यों और दो निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर एक अस्थाई स्थान पर आयोजित सत्र में विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया पर 'महाभियोग' चलाया। विधानसभा अध्यक्ष ने इस कदम को 'अवैध और असंवैधानिक' बताया था।

कांग्रेसी मुख्यमंत्री नबाम तुकी के खिलाफ जाते हुए पार्टी के बागी 21 विधायकों ने बीजेपी और निर्दलीय विधायकों की मदद से एक सामुदायिक केंद्र में सत्र आयोजित किया। इनमें 14 सदस्य वे भी थे, जिन्हें एक दिन पहले ही अयोग्य करार दिया गया था।

राज्य विधानसभा परिसर को स्थानीय प्रशासन द्वारा 'सील' किए जाने के बाद इन सदस्यों ने सामुदायिक केंद्र में उपाध्यक्ष टी. नोरबू थांगडोक की अध्यक्षता में तत्काल एक सत्र बुलाकर रेबिया पर महाभियोग चलाया।

अरुणाचल संकट पर एक नजर

अक्टूबर 2015 - मुख्यमंत्री ने 4 मंत्रियों को हटाया

नवंबर 2015 - 47 में से 21 कांग्रेसी विधायकों ने मुख्यमंत्री को हटाने के लिए स्पीकर को नोटिस दिया।
- गवर्नर ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया।
- स्पीकर का सत्र बुलाने से इनकार।
- बागी विधायकों ने गवर्नर के समर्थन से सत्र बुलाया।

दिसंबर 2015 - गुवाहाटी हाइकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल।

21 जनवरी 2016 - सुप्रीम कोर्ट ने मामला 5 जजों की संविधान बेंच को दिया।

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24 जनवरी 2016 - केंद्र ने राष्ट्रपति शासन की सिफ़ारिश की।