यह ख़बर 10 मई, 2013 को प्रकाशित हुई थी

अखिलेश सरकार को झटका : संदिग्ध आतंकियों से केस हटाने की अर्जी खारिज

खास बातें

  • बाराबंकी की अदालत ने 2007 में गोरखपुर में हुए धमाकों के संदिग्ध आतंकवादियों - तारिक कासमी तथा खालिद मुजाहिद पर विस्फोटक बरामद होने संबंधी मुकदमा वापस लेने की अर्जी को खारिज कर दिया।
बाराबंकी:

उत्तर प्रदेश में बाराबंकी की एक अदालत ने राज्य सरकार को करारा झटका देते हुए वर्ष 2007 में गोरखपुर में हुए शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों के संदिग्ध आतंकवादियों - तारिक कासमी तथा खालिद मुजाहिद पर बाराबंकी में विस्फोटक बरामद होने संबंधी मुकदमा वापस लेने की अर्जी को खारिज कर दिया।

तारिक कासमी के वकील रणधीर सिंह सुमन ने बताया कि विशेष सत्र न्यायाधीश (अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति) कल्पना मिश्र  ने कासमी तथा मुजाहिद के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की गत 26 अप्रैल को दी गई अर्जी को ठुकरा दिया।

उल्लेखनीय है कि मई, 2007 में गोरखपुर जिले के भीड़भाड़ वाले इलाकों बलदेव प्लाजा, गोलघर चौराहे तथा जलकल भवन के पास साइकिल तथा मोटरसाइकिल पर टिफिन में रखे बमों में हुए सिलसिलेवार धमाकों में छह लोग जख्मी हो गए थे।

इस मामले में राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने हरकत-उल-जिहाद-अल इस्लामी के संदिग्ध आतंकवादी तारिक कासमी तथा खालिद मुजाहिद को दिसम्बर, 2007 में बाराबंकी जिले में गिरफ्तार करके उनके कब्जे से आरडीएक्स तथा डेटोनेटर की बरामदगी का दावा किया था।

राज्य सरकार ने विस्फोटक बरामदगी का मुकदमा वापस लेने के लिए बाराबंकी की अदालत में अर्जी दी थी। सुमन ने बताया कि अदालत ने कहा कि सरकार ने अर्जी में आग्रह किया है कि वह जनहित और साम्प्रदायिक सौहार्द के तकाजे में मुकदमा वापस लेना चाहती है, लेकिन उसने इन दोनों शब्दों की व्याख्या नहीं की।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

उन्होंने बताया कि अदालत ने यह भी कहा कि सरकार ने अर्जी के साथ शपथपत्र नहीं दिया और अति गोपनीय दस्तावेज होने के बावजूद अर्जी को सीलबंद लिफाफे की बजाय खुले तौर पर दिया। सुमन ने बताया कि अदालत ने इन तीन प्रमुख कारणों का जिक्र करते हुए सरकार की अर्जी खारिज कर दी।