यूपी चुनावों के मद्देनजर अजित सिंह से मिले शिवपाल, कांग्रेस को लेकर स्थिति साफ नहीं

यूपी चुनावों के मद्देनजर अजित सिंह से मिले शिवपाल, कांग्रेस को लेकर स्थिति साफ नहीं

शिवपाल यादव के साथ अजित सिंह (फाइल फोटो)

नई दिल्ली/ लखनऊ:

समाजवादी पार्टी ने अपने रजत जयंती समारोह के बहाने आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए गठजोड़ की कोशिश शुरू कर दी है. जेडीयू नेताओं से मिलने के बाद शिवपाल सिंह यादव शुक्रवार को अजित सिंह से मिले. दोनों ने माना, गठजोड़ की बात शुरू हो गई है.

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह को पांच नवंबर के रजत जयंती कार्यक्रम का न्योता देने गए समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने उनसे करीब आधे घंटे से कुछ ऊपर बातचीत की. इस संक्षिप्त बातचीत में दोनों ने आने वाले गठजोड़ की पहली ईंट रख दी. शिवपाल यादव ने कहा कि सेक्युलर लोग इकट्ठा हों ताकि यूपी में बीजेपी घुस न पाए.

शिवपाल यादव ने कहा, "हम चाहते हैं कि यूपी से बीजेपी को बाहर निकालने के लिए सेक्युलर लोग साथ आएं. हम चाहते हैं कि लोहियावादी और चरणसिंहवादी नेताओं को एक ही मंच पर लाया जाए".  ऐसे में पांच नवंबर के जश्न में अब तक एक ही मंच पर मुलायम के साथ नीतीश कुमार, अजित सिंह और एचडी देवगौड़ा समेत कई और नेता जुट सकते हैं.

हालांकि कांग्रेस इस मंच पर होगी या नहीं, इस पर संदेह है. न कांग्रेस को अब तक न्योता गया है, न शिवपाल यूपी में कांग्रेस के मौजूदा रणनीतिकार प्रशांत किशोर को पहचानने को तैयार हैं. जब एनडीटीवी ने उनसे पूछा कि क्या केसी त्यागी से मुलाकात के दौरान प्रशांत किशोर वहां मौजूद थे, शिवपाल ने कहा, "मैं प्रशांत किशोर को नहीं जानता कि वो कौन हैं...मैं तो न्योता देने गया था".

हालांकि ऐसे गठजोड़ का जो पहला सवाल है, उसका जवाब देने से सभी बच रहे हैं- मुख्यमंत्री कौन होगा. न मुद्दों पर कोई बात हुई है. शिवपाल से मुलाकात के बाद जब अजित सिंह से पूछा गया कि क्या गठजोड़ के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर अखिलेश यादव उन्हें मंज़ूर होंगे, तो उन्होंने कहा, "इस पर हम और शिवपाल बात करेंगे. आपसे इस बारे में क्यों बात करें". जबकि अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी ने एनडीटीवी से कहा, "मुलायम सिंह से अजित सिंह की बात हुई है. बातचीत अच्छी चल रही है. लेकिन मुद्दों पर या सीटों पर अभी बात नहीं हुई है...गठजोड़ अभी दूर है".

लेकिन इस बात के आगे भी सवाल हैं. कांग्रेस और बीएसपी से अलग ये मोर्चा कितना कामयाब होगा- ख़ासकर तब जब समाजवादी पार्टी की कमान और दिशा को लेकर भीतर ही घमासान जारी है. यही नहीं, जिन मुलायम ने बिहार में नीतीश का साथ छोड़ा, उन पर दूसरे कितना भरोसा करेंगे.


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