अमर सिंह, शिवपाल यादव पार्टी छोड़ने को तैयार, लेकिन मुलायम सिंह यादव अभी भी हैं अड़े: सूत्र

अमर सिंह, शिवपाल यादव पार्टी छोड़ने को तैयार, लेकिन मुलायम सिंह यादव अभी भी हैं अड़े: सूत्र

समाजवादी पार्टी में सुलह की कोशिश अब तक नाकाम रही है...

खास बातें

  • मुलायम ने दिल्‍ली आकर अपने करीबी भरोसेमंद अमर सिंह से सलाह मशविरा किया.
  • कुछ घंटे बाद मुलायम चुनाव आयोग में गए बिना शिवपाल के साथ लखनऊ लौटे.
  • अखिलेश की पेशकश को मुलायम सिंह यादव ने नहीं माना है.
नई दिल्ली/लखनऊ:

समाजवादी पार्टी में दंगल जारी है. फिलहाल सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि अमर सिंह पार्टी से इस्तीफा देने को तैयार हैं और शिवपाल भी पार्टी छोड़ने को तैयार हैं. यही नहीं अखिलेश के लिए शिवपाल अपनी सीट जसवंत नगर सीट छोड़ने को तैयार हैं, लेकिन मुलायम सिंह अड़े हुए हैं. उनका कहना है कि 'मुझे अध्यक्ष पद से हटाया नहीं जा सकता. हम अखिलेश से लड़ने को तैयार हैं'.

समाजवादी पार्टी पर नियंत्रण की जंग जारी रहने के बीच, पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव ने गुरुवार को दिल्‍ली आकर अपने करीबी भरोसेमंद अमर सिंह से सलाह मशविरा किया. इसके बाद शाम में दिल्ली आने के कुछ घंटे बाद मुलायम आयोग में गए बिना अपने भाई शिवपाल के साथ लखनऊ लौट गए. यह मुलाकात इन अटकलों के बीच हुई कि वे 50 प्रतिशत से अधिक विधायकों और पदाधिकारियों के समर्थन वाले पत्र के साथ चुनाव आयोग जा सकते हैं.

जहां एक ओर मुलायम के करीबियों का कहना है कि उन्होंने अपना रुख स्पष्ट करने के लिए समय मांगा है, वहीं आयोग ने इस बात से इंकार किया कि मिलने का समय मांगा गया है. आयोग के सूत्रों ने कहा कि उन्‍हें सपा संस्थापक की तरफ से कोई दस्तावेज प्राप्त नहीं हुआ है.

इससे पहले अखिलेश ने शिवपाल के बर्खास्त किए गए चार जिला अध्यक्षों को पार्टी में वापस ले लिया. कुछ दिन पहले शिवपाल यादव ने देवरिया के रामइकबाल यादव, कुशीनगर के राम अवध यादव, आज़मगढ़ के हवलदार यादव और मिर्ज़ापुर के आशीष यादव को ज़िला अध्यक्ष पद से बर्ख़ास्त कर दिया था. ये सभी लोग अखिलेश खेमें के माने जाते हैं. अखिलेश यादव ने सपा के सभी ज़िला इकाइयों को चुनाव की तैयारी करने के आदेश दिए.

मैं नाउम्मीद नहीं : आजम खान
आजम खान सुलह की कोशिशों में जुटे हुए हैं. उन्होंने कहा कि मैं नाउम्मीद नहीं हूं. यह सब क्यों हुआ किसी से छिपा नहीं है, लेकिन कुछ लोग नहीं चाहते कि दोनों साथ आएं.

चुनाव आयोग ने विधायकों और पार्षदों के हलफनामे तलब किए
समाजवादी पार्टी के कुनबे में जारी कलह और सुलह की कोशिश के बीच चुनाव चिन्ह की लड़ाई चुनाव आयोग के सामने हैं. चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी की साइकिल पर दावा ठोक रहे दोनों गुटों से अपना बहुमत साबित करने के लिए समर्थन देने वाले विधायकों , पार्षदों के  हलफनामे तलब किए हैं. इसके लिए चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को 9 जनवरी तक का समय दिया है, जिसमें समर्थन दे रहे सभी सांसदों, विधायकों और पार्षदों के साइन किए हलफनामे मांगे हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि दोनों गुटों ने अलग-अलग चुनाव आयोग से मुलाकात कर खुद को असली समाजवादी पार्टी बताया है. ऐसे में बहुमत के ज़रिए चुनाव आयोग दोनों धड़ों की मज़बूती का आकलन करना चाहता है. इस सबके बीच अखिलेश यादव ने आज विधायकों की बैठक बुलाई जिसमें उनके समर्थक विधायकों और विधान परिषद सदस्यों ने उनके प्रति आस्था जताई.

किसी तरह के भ्रम में न रहें : अखिलेश यादव
यूपी में विधानसभा चुनाव 11 फरवरी से लेकर 8 मार्च तक सात चरणों में होगा. चुनाव के नतीजे 11 मार्च को आएंगे. सपा सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने लोगों से कह दिया है कि अब वह पूरी तरह चुनाव प्रचार में लग जाएं और किसी तरह के भ्रम में न रहें.

लोग चाहते हैं सपा की सरकार बने : अखिलेश
मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि उत्‍तर प्रदेश की जनता ने यह मन बना लिया है कि आने वाले समय में समाजवादी पार्टी की सरकार बने. उन्‍होंने इशारों-इशारों में यह भी कहा कि 'जब चुनावी तारीख आ जाएं तो समझ लो 'लड़ाई' शुरू हो गई और मैं चाहता हूं कि प्रदेश की जनता एक बार फिर काम करने वालों को वोट दें''. हालांकि सुलह की संभावना को लेकर मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने सीधा कोई जवाब नहीं दिया.

पार्टी घमासान पर अखिलेश का बयान
पार्टी में घमासान और समझौते के मुद्दे को लेकर अखिलेश ने कहा कि 'मैं समझता हूं कि यह समय ऐसा है कि समाजवादी सिद्धांत कैसे आगे बढ़ें. समाजवादी विचारधारा और कैसे आगे तक जाएं. समाजवादियों के आशीर्वाद से मुझे काम करने का मौका मिला, शायद उन्‍हीं का आशीष था कि काम हो पाए. नेताजी ने ही कहा था कि क्‍या एक्‍सप्रेस-वे 23 महीने में बन सकता है... हमने इसे 23 महीने में ही बनाकर दिखा दिया. मेट्रो देश में कभी इतने कम वक्‍त में नहीं बनी होगी. इसलिए मैं कह रहा हूं कि लोकतंत्र में नेताजी ने मुझे मौका दिया और उन्‍हीं के आशीर्वाद से हमने इतना काम किया है. लोगों को भरोसा है कि समाजवादी पार्टी काम करेगी. इसलिए जब काम दिया है, काम किया है और अब तो हम भी यह कहते हैं कि समाजवादियों का काम भी बोलता है'. (इनपुट भाषा से भी)


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