यह ख़बर 18 जनवरी, 2012 को प्रकाशित हुई थी

संप्रग के मंत्री घमंडी या बेरुखे, बातचीत करना कठिन : जेटली

खास बातें

  • भाजपा नेता अरुण जेटली का मानना है कि मनमोहन सिंह सरकार के मंत्री या तो ‘घमंडी हैं या बेरुखे’ और उनसे बातचीत करना कठिन है।
मुंबई:

भाजपा नेता अरुण जेटली का मानना है कि मनमोहन सिंह सरकार के मंत्री या तो ‘घमंडी हैं या बेरुखे’ और उनसे बातचीत करना कठिन है।

जेटली ने यह टिप्पणी यह कहते हुए की कि महत्वपूर्ण विधेयकों को संसद में पास कराने के लिये विपक्ष के साथ सहमति बनाना सरकार का काम है।

बहरहाल राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की प्रशंसा करते हुए कहा कि भाजपा के साथ सहमति बनाने के लिये उन्होंने प्रयास किये।

जेटली ने कहा, ‘इस सरकार (संप्रग) में दो तरह के मंत्री हैं - घमंडी या बेरुखे। सिर्फ वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने हमारे साथ सहमति बनाने का प्रयास किया।’ उन्होंने कहा कि संप्रग के मंत्रियों के साथ वार्ता करना कठिन है।

जेटली ने कारपोरेट जगत से कहा कि वह विपक्ष के बजाए प्रधानमंत्री को सलाह दे ताकि विभिन्न विधेयकों पर सहमति बनाई जा सके जिनमें कुछ शीत सत्र में पास नहीं हो सके।

जेटली ने कहा, ‘मैं उस सरकार के साथ कैसे सहयोग कर सकता हूं जिसने कुछ नहीं करने का निर्णय कर रखा है । आपको हमें :विपक्ष: खुला खत लिखने से पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिखना चाहिए।’ जेटली ने एक्सप्रेस अड्डा में वाणिज्य एवं उद्योग क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ वार्ता के दौरान यह बात कही।

अरुण जेटली ने कहा कि कारपोरेट इंडिया का विपक्ष और सरकार को आंकने का एक ही पैमाना होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री से पूछा जाना चाहिए कि क्या संप्रग में आपसी सहमति है।’ जेटली ने आरोप लगाया कि सरकार के नेतृत्व स्तर में कमी आई है। उन्होंने कहा, ‘स्वाभाविक निर्णयों को आंकने की क्षमता में कमी है। इस शासन की विश्वसनीयता नहीं है क्योंकि प्रधानमंत्री ने उन सभी लोगों को क्लीनचिट दे दी जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगे।’

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भाजपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी ने पेंशन विधेयक को समर्थन करने का निर्णय किया और सरकार ने भी इसके सुझाये कुछ छोटे बदलावों को मंजूर कर लिया। उन्होंने संभवत: तृणमूल की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘बहरहाल सरकार ने तुरंत विधेयक को वापस ले लिया क्योंकि गठबंधन के अंदर से ही दबाव था।’