मुकेश अम्बानी और नीता अम्बानी (फाइल फोटो)
खास बातें
- बढ़ती जा रही विशेष सुरक्षा पाने वालों की संख्या
- यूपीए के मुकाबले एनडीए सरकार में सुरक्षा पाने वाले सौ अधिक
- प्रत्येक वीआईपी की सुरक्षा पर होता है भारी भरकम व्यय
नई दिल्ली: उद्योगपति मुकेश अम्बानी की पत्नी नीता अम्बानी को गृह मंत्रालय द्वारा 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा दे दी गई है। सरकार के इस फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। एनडीए सरकार में कड़ी सुरक्षा में रहने वाले वीवीआईपी की संख्या बढ़ती जा रही है। गृह मंत्रालय के मुताबिक विशेष सुरक्षा घेरे में रहने वाले वीआईपी 450 हैं। पिछली सरकार में चिदम्बरम के दौर में इस लिस्ट में 350 लोग शामिल थे।
नीता अम्बानी को सुरक्षा देने के पीछे कई तर्क
वैसे तो नीता अम्बानी हर वक्त एक सुरक्षा घेरे में होती हैं लेकिन अब वे कहीं जाएंगी तो दो पीएसओ भी उनके साथ नजर आएंगे। गृह मंत्रालय से उन्हें 'वाई' कैटेगरी की सुरक्षा दी है। इसके पीछे तर्क है कि वे बहुत सारे एनजीओ से जुड़ी हैं। वे बहुत ज्यादा सफर करती हैं और रिलायंस फाउंडेशन की अध्यक्ष होने के कारण उन्हें अगवा करने की कोशिशें हो सकती हैं।
पैसे वालों की सरकार को गरीबों से क्या लेना-देना
केंद्र के इस फैसले के लेकर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। कांग्रेस नेता राज बब्बर ने एनडीटीवी इंडिया से कहा कि "यह सरकार पैसे वालों की है और उनके लिए ही काम करती है। ऐसे में उन्हें ही सुरक्षा देगी गरीब भूखा है उससे उसको क्या?"
'जेड प्लस' सुरक्षा में 55 वीवीआईपी
सवाल गृह मंत्रालय के निर्णयों पर उठ रहे हैं। मुकेश अम्बानी को 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा क्यों दी गई? मौजूदा सरकार ने अब तक सबसे बड़ी संख्या में लोगों को वीआईपी सुरक्षा दी है। फिलहाल 55 वीआईपी को 'जेड प्लस' श्रेणी की सुरक्षा मिल रही है। यूपीए सरकार के दौर में इस श्रेणी की सुरक्षा पाने वालों की संख्या 20 के करीब थी। इस स्तर की सुरक्षा में प्रत्येक वीआईपी के साथ करीब 45 सुरक्षा कर्मी तैनात होते हैं।
'जेड' श्रेणी की सुरक्षा पाने वाले 60 व्यक्ति
देश में 60 विशिष्ट जन को 'जेड' श्रेणी की सुरक्षा मिली है। यूपीए सरकार के दौर में यह संख्या 22 थी। इसके तहत 20 सुरक्षाकर्मी प्रत्येक वीआईपी की सुरक्षा में तैनात होते हैं। सुरक्षा पाने वाले बाकी लोगों में 'एक्स' और 'वाई' श्रेणी की सुरक्षा पाने वाले वीआईपी हैं। वाई श्रेणी की सुरक्षा में प्रत्येक वीआईपी के साथ 10 और एक्स श्रेणी में 3 सुरक्षा कर्मी तैनात रहते हैं।
स्टेटस सिंबल बन गई सुरक्षा
दूसरी तरफ वीआईपी सुरक्षा में लगे सुरक्षाबलों सीआरपीएफ, एनएसजी और सीआईएसएफ के अधिकारी कई बार वीआईपी के बर्ताव को लेकर भी शिकायत करते रहे हैं। आम बनाम खास को सुरक्षा पर लंबे वक्त से बहस चलती रही है। सुरक्षा के लिहाज से दोनों ही जरूरी हैं पर इससे ज्यादा जरूरी है इन दोनों पहलुओं के बीच संतुलन ताकि सुरक्षाबलों का इस्तेमाल जनता की सुरक्षा में हो सके। विशिष्ट लोगों को महज स्टेटस सिंबल के लिए सुरक्षा न दी जाए।