क्या है ISIS यानि इस्लामिक स्टेट इन इराक़ एंड अल शाम ?

क्या है ISIS यानि इस्लामिक स्टेट इन इराक़ एंड अल शाम ?

आईएसआईएस संगठन का इराक़ और सीरिया के बड़े इलाकों पर कब्ज़ा है (फाइल फोटो)

वाशिंगटन:

इस्लामिक स्टेट से जुड़े एक आतंरिक भर्ती दस्तावेज के अनुसार अमेरिका को आर-पार की जंग के लिए उकसाने के मकसद से यह आतंकी समूह भारत पर हमले की तैयारी कर रहा है। वह पाकिस्तानी और अफगान तालिबान को एक करना भी चाह रहा है। 'यूएसए टुडे' में मंगलवार को प्रकाशित एक खोजी खबर में पाकिस्तानी तालिबान के भीतरी लोगों से संबंध रखने वाले एक पाकिस्तानी नागरिक से मिले 32 पन्नों के उर्दू दस्तावेज का ज़िक्र किया गया है।

आईएसआईएस का पूरा नाम इस्लामिक स्टेट इन इराक़ एंड अल शाम है। 2014 में इस चरमपंथी संगठन का नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर तब आया जब इसने इराक़ और सीरिया के इलाकों का बड़ा हिस्सा अपने काबू में कर लिया। ये संगठन अपने बर्बर बर्ताव के लिए बदनाम है और जैसा कि इसके नाम से जा़हिर है इसका मकसद इराक़ और सीरिया में इस्लामिक राज्य स्थापित करना है।

हालांकि पिछले कुछ समय से इस समूह को दुनिया के कुछ इस्लामिक देशों से समर्थन हासिल हो रहा है, वहीं अमरीका सहित कुछ देशों ने इसका नामोनिशान मिटा देने की बात कही है। खबरों के अनुसार आईएस, अमरीका के नेतृत्व वाले गठबंधन का सीधा सीधा सामना करने के लिए तैयार है और वह इस मुकाबले को इस्लाम के 'दुश्मनों' का खात्मा करने के लिए ज़रुरी समझता है।

2014 में इस संगठन ने औपचारिक रूप से इराक़ और सीरिया में अपने कब्ज़े वाले इलाक़े में 'ख़िलाफ़त' यानी इस्लामिक या शरिया कानून के तहत चलने वाले राज्य की घोषणा की।इसने दुनिया भर के मुसलमानों से इस गुट के नेता अबु-बक्र-अल-बग़दादी के हुक्म की अदायगी करने की मांग की थी, साथ ही मुसलमानों से उस इलाके में बस जाने के लिए कहा जहां इस सगंठन का कब्ज़ा है। यही नहीं आईएस ने दुनिया भर में फैले अन्य जिहादी गुटों को भी अपने आगे झुक जाने का आदेश दिया  और अल-क़ायदा समूह के कई प्रतिद्वंदियों ने ऐसा करने में देर भी नहीं लगाई है।

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सितंबर 2014 में, अमेरिकी राष्ट्रीय आतंकरोधी सेंटर ने कहा कि इस्लामिक स्टेट के कब्ज़े वाले इलाका, ब्रिटेन जितना बड़ा है। वहीं, मार्च 2015 में रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष ने बताया कि करीब एक करोड़ लोग इस्लामिक स्टेट के कब्ज़े वाले इलाके में रह रहे हैं। बताया जाता है कि आईएस ने अपने इलाकों में शरिया को सख्ती से लागू किया हुआ है, वहां महिलाओं को पर्दे में रहना अनिवार्य है, नियम नहीं मानने वाले को खुलेआम सज़ा दी जाती है और गैर मुस्लिम के पास इस इलाके में रहने के लिए तीन ही विकल्प हैं, स्पेशल टैक्स, धर्म-परिवर्तन या फिर मौत।