‘दलितों के दर्द पर मोदी की पीड़ा’ की वजह विदेशी मीडिया : दिग्विजय सिंह

‘दलितों के दर्द पर मोदी की पीड़ा’ की वजह विदेशी मीडिया : दिग्विजय सिंह

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह (फाइल फोटो)

खास बातें

  • हिंसा करने का भाजपा, बजरंग दल और वीएचपी से ताल्लुक
  • दलितों पर हमले पहले भी हो रहे थे लेकिन बयान नहीं आया
  • वाल स्ट्रीट जर्नल और न्यूयॉर्क टाइम्स ने 'उना' पर तल्ख टिप्पणी की
नई दिल्ली:

दलितों पर अत्याचार की घटनाओं की पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निंदा किए जाने को लेकर गुरुवार को कांग्रेस महासचिव दिग्विजय ने उन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ‘दलितों के दर्द पर उनकी पीड़ा’ की वजह विदेशी मीडिया है क्योंकि प्रधानमंत्री हमेशा इस कोशिश में रहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में उनके खिलाफ माहौल नहीं बने।

सिंह ने यहां ‘इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल’ की ओर से ‘बीफ निर्यात पर पाबंदी’ की मांग लेकर आयोजित संगोष्ठी में यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने गोहत्या के नाम पर हिंसा कर रहे जिन ‘असामाजिक तत्वों’ की बात कही है कि उनमें से अधिकांश का भाजपा, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद से ताल्लुक है।

उन्होंने गुजरात के उना में दलितों की बर्बर पिटाई का हवाला देते हुए कहा, ‘‘दलितों पर हमले पहले भी हो रहे थे लेकिन बयान नहीं आया। इस बार दलितों के दर्द की पीड़ा क्यों हुई। इसकी वजह यह है कि दलितों ने इस बार आवाज उठाई है। इसकी एक वजह और भी है। दरअसल, इस घटना (उना की घटना) को लेकर वाल स्ट्रीट जर्नल और न्यूयॉर्क टाइम्स ने तल्ख टिप्पणी की और दुनिया भर में यह वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद बयान आया।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘मोदी जी आजकल सिर्फ अंतरराष्ट्रीय मीडिया से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। वह इस कोशिश में रहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया में उनके खिलाफ माहौल नहीं बने। इसी वजह से उन्होंने इस घटना पर तेलंगाना में बयान दिया, जबकि संसद चल रही थी।’’

गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने कहा था कि गोरक्षा का दावा करने 70-80 फीसदी लोग रात में दूसरे धंधे करते हैं और दिन में गोररक्षक का चोला पहन लेते हैं। उन्होंने भावुक अपील करते हुए था कि ‘मारना है तो मुझे गोली मार दो, लेकिन मेरे दलित भाइयों को मत मारो।’

दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने जिन 70-80 फीसदी लोगों की बात की है वे कौन लोग हैं। ये वही लोग हैं जिन्होंने दादरी में अखलाक की हत्या की। इनका ताल्लुक भाजपा, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद से है।’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘भाजपा और आरएसएस के लोग वीर सावरकर को अपना नेता मानते हैं। वीर सावरकर गोहत्या पर रोक के खिलाफ थे और उनका कहना था कि यह कदम ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विपरीत होगा। इस बात को मैं साबित कर सकता हूं। परंतु मैं गोहत्या पर प्रतिबंध का समर्थन करता हूं। गोहत्या पर पूरी तरह रोक होनी चाहिए क्योंकि हिंदुओं की इससे आस्था जुड़ी हुई है।’’

इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खान ने कहा, ‘‘अगर सरकार गोहत्या पर रोक लगाने को लेकर गंभीर है तो उसे सबसे पहले बीफ के निर्यात पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए। हम चाहते हैं कि हमारी मांग का सभी सियासी और गैर सियासी लोग समर्थन करें।’’

खान ने कहा, ‘‘पैगम्बर मोहम्मद ने खुद कहा था कि गाय के दूध का फायदा है, लेकिन उसके मांस से बीमारी होती है। ऐसे में मुस्लिम समुदाय के सभी लोग गोहत्या और बीफ के निर्यात पर पाबंदी की इस मुहिम में साथ खड़े हैं।’’ तौकीर रजा खान ने गोहत्या पर प्रतिबंध की मांग को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को एक पत्र भी लिखा है।

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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