यह ख़बर 22 सितंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

शरद शर्मा की कलम से : जब गोवा गए आप के विधायक

नई दिल्ली:

रविवार दोपहर को खबर आई कि दिल्ली के आम आदमी पार्टी के तीन विधायक गोवा चले गए हैं, जबकि पार्टी को इस बारे में खबर नहीं है। इससे पार्टी में हड़कंप मच गया और मीडिया के रिपोर्टर्स तुरंत सक्रिय हो गए।
 
मीडिया के रिपोर्टर्स के सक्रिय होने का कारण यह था कि पार्टी सूत्रों के मुताबिक, उन्हें इस यात्रा के बारे में जानकारी नहीं थी। इसके साथ ही वे यह इशारा भी कर रहे थे कि गोवा एक बीजेपी शासित प्रदेश है। श्राद्ध बस ख़त्म होने ही वाले है और नवरात्रों में हो सकता है कि बीजेपी दिल्ली में सरकार बना रही हो और ऐसे में आप विधायक टूट रहे हो।

शाम को जैसे ही तीनों विधायक सीमापुरी से धर्मेंद्र कोली, देवली से प्रकाश जारवाल और अम्बेड़कर नगर से अशोक चौहान गोवा एयरपोर्ट पहुंचे तब उनको फ़ोन जाने लगे और पता चला कि मीडिया में खबर चल रही है तो उन्होंने पार्टी से बात करके तुरंत ही एयरपोर्ट से ही वापस आने का फैसला किया और वापस लौटकर पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल से मिलकर अपना पक्ष रखा।

सोमवार सुबह सीमपुरी से आप विधायक धर्मेंद्र कोली ने कहा कि वे लोग पहले भी इस तरह घूमने जाते रहे हैं। उनपर बीजेपी के संपर्क में होने के जो आरोप लग रहे हैं वे बिलकुल गलत हैं।

वहीं देवली से आप विधायक प्रकाश जारवाल का कहना था कि उन्होंने पहले ही पार्टी को सूचित कर दिया था। यही नहीं उनका कहना था कि जब कांग्रेस या बीजेपी के नेता कहीं घूमने जाते हैं, तो कोई बात नहीं होती लेकिन जब आप विधायक जाते हैं तो खबरें बन जाती हैं।
 
पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने कहा ये एक साज़िश की तरह है, जिसमें आप विधायकों को कमज़ोर दिखाने की कोशिश की जा रही है, कहीं घूमने जाना गलत है क्या?

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आधिकारिक बयानों से तो ऐसा लगता है कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं और सबकुछ मीडिया की अटकलों का नतीजा है। लेकिन हकिकत यही है कि धुंआ तभी उठता है जब आग लगी हो यानी पार्टी और उसके विधायकों में कम्यूनिकेशन गैप तो रहा ही। साथ ही यह भी साफ़ हुआ कि पार्टी को विधायकों पर विश्वास उतना नहीं, जितना दावा किया जाता है।