यह ख़बर 29 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

जब सेना मुख्यालय ने की थी गणतंत्र दिवस परेड नहीं निकालने की सिफारिश

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

सेना मुख्यालय ने 1972 में गणतंत्र दिवस की परेड को रद्द करने की सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ जंग में भारतीय सेना की शानदार जीत का उत्सव मनाना चाहती थीं। देश में 1971 के युद्ध में जीत के बाद उल्लास का माहौल था।

सेना के करिश्माई प्रभाव वाले अधिकारी फील्ड मार्शल सैम मानेकशा पर लिखी एक पुस्तक में ऐसे कई किस्सों का उल्लेख है। सेना में लंबे समय तक मानेकशा के सहयोगी रहे ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) बेहराम पांथाकी और उनकी पत्नी जेनोबिया ने नई किताब 'फील्ड मार्शल सैम मानेकशा : द मैन एंड हिज टाइम्स' लिखी है।

किताब में लिखा गया है, 'भारतीय सेना ने खुद को साबित कर दिया था और 1962 में चीन से मिली हार के बादल छंट गए थे। सेना की इकाइयों के अग्रिम क्षेत्रों में ही रहने के कारण सेना मुख्यालय ने सिफारिश की थी कि उस साल गणतंत्र दिवस परेड रद्द कर दी जाए, लेकिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जश्न मनाना चाहती थीं। भारत की जीत का जश्न मनाना था और श्रद्धांजलि भी अर्पित करनी थी।' पुस्तक में जिक्र मिलता है कि अल्पकालिक नोटिस पर इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति प्रज्ज्वलित की गई।

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पांथाकी ने लिखा है, '26 जनवरी, 1972 को परेड शुरू होने से पहले इंदिरा गांधी खुली जीप में राजपथ पहुंचीं जिसके बाद शहीदों को श्रद्धांजलि देने तीनों सेनाओं के प्रमुख वहां पहुंचे। इसके बाद संक्षिप्त रूप में परेड निकाली गई।'