डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: 83 वर्षीय कलाम का सोमवार को आईआईएम शिलांग में व्याख्यान देते समय दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्हें एक ऐसे दिलेर राष्ट्रपति के रूप में जाना जाता है जिन्होंने सुखोई लड़ाकू विमान में उड़ान भरी, पनडुब्बी में सफर किया, जो दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध मैदान सियाचिन ग्लेशियर गए और नियंत्रण रेखा पर जाकर जिन्होंने सैनिकों से बातचीत भी की। इसमें वह साहसिक घटना भी शामिल है जब उनके विमान ने एज़वाल हवाई अड्डे से रात के समय उड़ान भरी और अंधेरे से घिरे रनवे को लालटेन और टार्च से रोशन किया गया।
यह घटना 2005 की है जब कलाम ने अपनी मिज़ोरम यात्रा के दौरान सभी आधिकारिक कार्यक्रम पूरे कर लिये। उनका अगली सुबह रवाना होने का कार्यक्रम था। लेकिन कलाम ने रात में ही दिल्ली के लिए उड़ान भरने का निर्णय किया। उनके एक वरिष्ठ सहयोगी ने इस घटना को याद करते हुए यह विवरण सुनाया। भारतीय वायु सेना के स्टेशन प्रमुख को बुलाकर उन्हें राष्ट्रपति के राजधानी लौटने की इच्छा से अवगत कराया गया क्योंकि मिजोरम में उनका काम पूरा हो चुका था। वायु सेना के अधिकारी ने कहा कि हवाई अड्डे पर रात में उड़ान भरने की सुविधा नहीं है। कलाम इस स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने कहा "आपात स्थिति हो तो क्या होगा ? क्या वायु सेना सुबह का इंतजार करेगी। उन्हें बता दें कि मुझे उड़ान भरना है और सभी जरूरी व्यवस्था की जाए।"
ऐसा सुनकर डॉ. कलाम के सहयोगी ने वायु सेना के अधिकारी से मुलाकात करके उन्हें राष्ट्रपति का संदेश सुनाया जो सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर भी थे। आईएएफ के कमांडर ने तत्काल दिल्ली में अपने वरिष्ठ अधिकारियों से सम्पर्क किया जिन्होंने मिसाइल मैन के आदेशों का पालन करने का निर्देश दिया। सहयोगी ने बताया कि अंतत: कलाम की इच्छा पूरी हुई और वायुसेना कर्मियों ने लालटेन, टॉर्च और मशाल जलाकर रनवे को रोशन किया ताकि उड़ान भरी जा सके। कलाम के सहयोगी उनके रात में उड़ान भरने के फैसले से चिंतित थे क्योंकि हवाई अड्डे पर केवल बुनियादी सुविधा ही उपलब्ध थी। वायुसेना अधिकारियों से अलग से पूछा गया कि क्या ऐसे में उड़ान भरना सुरक्षित होगा। वायुसेना अधिकारी ने कहा कि उड़ान तो भर सकते हैं लेकिन अगर लौटना पड़ा तो परेशानी होगी। रात के करीब नौ बजे राष्ट्रपति के बोइंग विमान ने उड़ान भरी जिस पर कलाम और उनके साथ 22 लोग थे।