सुपरपावर अमेरिका के आगे आखिर कहां टिकते हैं हम?

नई दिल्ली:

इस 26 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा गणतंत्र दिवस की परेड पर मुख्य़ अतिथि होंगे। वैसे तो ओबामा से पहले पाँच अमरीकी राष्ट्रपति भारत आ चुके हैं लेकिन वह अमेरिका के पहले ऐसे राष्ट्रपति होंगे जिन्हे गणतंत्र दिवस के मौके के दौरान मुख्य़ अतिथि के तौर पर बुलाया गया है। गणतंत्र दिवस के दौरान भारत दुनिया को अपनी संस्कृति की झलक के साथ-साथ अपनी सैन्य शक्ति से भी अवगत कराता है। पर इस बार भारत की शक्ति का अवलोकन करने वाला अमेरिका है जो भारत से ही नहीं दुनिया के सभी देशों से हर क्षेत्र में बहुत आगे है। सुपर पावर की रेस में अमेरिका को चीन के साथ-साथ भारत से भी कड़ी टक्कर मिल रही है। हर उस क्षेत्र में जहाँ अमेरिका सुपर पावर बना हुआ है वहां भारत की स्थिति क्या है, आईये ज़रा नज़र डालते हैं।

अर्थव्यवस्था

16.8 ट्रिलियन डॉलर के साथ अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, वहीं भारत की जीडीपी 1.9 ट्रिलियन डॉलर की है।

अमेरिका की करेंसी 'डॉलर' है और भारत की करेंसी 'रुपया' है।  इस समय भारत में एक डॉलर का मूल्य ६० रूपये से ज़्यादा है। खाड़ी देश तेल का आदान-प्रदान सिर्फ डॉलर में ही करते हैं।

वर्ल्ड-बैंक को सबसे ज्यादा मदद अमेरिका से मिलती है। 2006 से लेकर 2013 तक अमेरिका ने वर्ल्ड बैंक को 13.4 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की। भारत वर्ल्ड-बैंक को कर्ज़ा देता भी है और कर्ज़ा लेता भी है। 2006 और 2013 के बीच भारत ने 65.9 मिलियन डॉलर की मदद की और 8.3 बिलियन डॉलर कर्ज़े के रूप में लिया।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में अमेरिका के पास 17.69 फीसदी कोटा है है जो सबसे ज़्यादा है। भारत का कोटा सिर्फ 2.44 फीसदी है।

अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय लगभग 32 लाख रूपये हैं वहीँ भारत में प्रति व्यक्ति आय 92000 रूपये के करीब है।

अमेरिका के पास 44.2 बिलियन बैरल का तेल भंडार है और भारत के पास सिर्फ 5.7 बिलियन बैरल है।

सैन्य शक्ति

अमेरिका का सैन्य खर्च कुल 600 बिलियन डॉलर है जबकि भारत सिर्फ 38 बिलियन डॉलर अपनी सेना पर खर्च करता है। अमरीका के 23 देशों में अपने मिलिट्री ठिकाने है जिससे अमेरिका पूरे विश्व पर नियंत्रण रख सकता है।  भारत के सिर्फ 5 देशों में सैन्य ठिकाने हैं वो भी ज्यादातर पड़ोसी देशों में। अमेरिका के पास 7650 न्युक्लीयर हथियार हैं और भारत के पास 80 और 100 के बीच न्यूक्लीयर हथियार हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य है।  सुरक्षा परिषद में सिर्फ पांच स्थायी सदस्य हैं जिनके पास वीटो पावर है। सन् 1955 में अमेरिका ने भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनने का न्योता दिया था जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ठुकरा दिया था। भारत की 'ना' का फायदा चीन ने उठाया और वह सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन गया। आज वही चीन भारत के स्थायी सदस्य बनने की राह में बार-बार वीटो का इस्तेमाल कर रहा है।

अंतरिक्ष क्षेत्र में

अब तक 334 अमरीकी अंतरिक्ष की यात्रा कर चुके हैं जबकि भारत से सिर्फ राकेश शर्मा सन 1984 में रूस की मदद से अंतरिक्ष की यात्रा करके आये थे। अमेरिका ने सन् 1969 में अपने नागरिक को चाँद में भेज दिया था और भारत ने 2008 में अपना यान चाँद में भेजा था और भारत अब यह दावा कर रहा है कि सन 2021 तक कोई भारतीय भी चाँद तक पहुँच जायेगा। मंगल अभियान में भारत ने अमेरिका को टक्कर ज़रूर दी है। अमेरिका के मैवेन प्रोग्राम में लगभग 671 मिलियन डॉलर का खर्च हुआ है वहीं भारत के मंगलयान प्रोग्राम सिर्फ 74 मिलियन डॉलर का खर्च हुआ है। अमेरिका के पास अंतरिक्ष से चलने वाले हथियार हैं लेकिन भारत ने अभी इस दिशा में प्रयास की शुरुआत की ही है।

सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र

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अमेरिका की लगभग 85 फीसदी जनता इंटरनेट का इस्तेमाल करती है जबकि भारत की सिर्फ 15 फीसदी जनता इंटरनेट का उपयोग करती है। वर्ष 2007 से दूसरे देशों के मुकाबले अमेरिका से सबसे ज़्यादा पर्यटक भारत आ रहे हैं। वर्ष 2013 में 10 लाख से ज़्यादा अमेरिकी टूरिस्ट भारत आए और भारत से तकरीबन साढ़े आठ लाख लोग अमेरिका गए। वर्ष 1995-96 में जहां सिर्फ 470 भारतीय छात्र अमेरिका पढ़ने गए थे, वहीं उनकी संख्या वर्ष 2012-13 में बढ़कर लगभग 4,600 हो गई। दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले अमेरिका में सबसे ज़्यादा प्रवासी भारतीय रहते हैं।

हॉलीवुड का कारोबार 10.9 बिलियन डॉलर का है और बॉलीवुड का कारोबार 1.5 बिलियन डॉलर का है। 2012 के लंदन के ओलिंपिक में अमेरिका ने 46 गोल्ड मेडल जीते थे वही भारत के नसीब में एक भी गोल्ड  मेडल नहीं आया था।

इसमें कोई संदेह नहीं कि भारत और अमेरिका के संबंध पहले के मुकाबले अधिक मधुर हुए हैं। अमेरिका और भारत लोकतंत्र के मजबूत स्तम्भ हैं। एक सबसे पुराना लोकतंत्र है, दूसरा सबसे बड़ा लोकतंत्र। यही खासियत इन दोनों को करीब लाती है। अमेरिका एक महाशक्ति है, लेकिन उसका प्रभाव कुछ कम हुआ है। वहीं वर्ष 1990 में कंगाली की कगार पर पहुंचा भारत इस समय चीन के बाद तेज़ी से बढ़ती दूसरी अर्थव्यवस्था है। भारत भले ही अमेरिका की तुलना में हर क्षेत्र में पीछे हो, लेकिन भारत की प्रगति की गति इस समय इतनी है कि वे दिन दूर नहीं, जब अमेरिका इसे मुख्य प्रतिद्वंद्वी के तौर पर देखने लगेगा।