यह ख़बर 17 मार्च, 2011 को प्रकाशित हुई थी

सांसदों को खरीदकर बचाई गई थी यूपीए सरकार

खास बातें

  • अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी के चार सांसदों को सरकार के पक्ष में वोट के बदले करोड़ों रुपये दिए गए थे।
New Delhi:

वर्ष 2008 में अमेरिका के साथ एटमी डील को लेकर जब मनमोहन सिंह की सरकार गिर रही थी तो उसे बचाने के लिए सांसदों की खरीद-फरोख्त की गई थी। विकीलीक्स पर जारी अमेरिकी दूतावास के एक केबल से यह खुलासा हुआ है। 'द हिन्दू' में छपी ख़बर के मुताबिक कांग्रेस नेता सतीश शर्मा के सहयोगी नचिकेता कपूर ने अमेरिकी दूतावास के एक अधिकारी को बताया था कि सांसदों की खरीद-फरोख्त के लिए 50 से 60 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं। खुलासे के मुताबिक अजीत सिंह की पार्टी आरएलडी के चार सांसदों को सरकार के पक्ष में वोट करने के बदले 10−10 करोड़ रुपये दिए गए थे। विश्वासमत से ठीक पहले बीजेपी ने लोकसभा में लाखों रुपये कैश से भरा बैग लाकर खूब हंगामा किया था, और आरोप लगाया था कि वह रकम सांसदों को सरकार के पक्ष में वोट देने के लिए दी गई थी। विश्वासमत के आंकड़ों पर गौर करें तो यूपीए सरकार के पक्ष में 275 वोट पड़े थे, जबकि विरोध में 256 वोट पड़े। 10 सांसदों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। इनमें से दो सांसद पार्टी के फ़ैसले के तहत, तथा आठ पार्टी के खिलाफ़ जाकर गैर-हाजिर रहे। गैर-हाजिर रहे सांसदों में चार बीजेपी के थे। यूपीए के सात सांसदों ने सरकार के खिलाफ़ वोट दिया था, जबकि चार विपक्षी सांसदों ने सरकार के पक्ष में वोट दिया था। इन चार विपक्षी सांसदों में दो बीजेपी के थे, एक बीजेडी और एक जेडीयू का सांसद था।


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