यह ख़बर 13 फ़रवरी, 2014 को प्रकाशित हुई थी

क्या वैलेंटाइन डे पर केजरीवाल इस्तीफा दे देंगे, कांग्रेस-बीजेपी का इम्तिहान?

नई दिल्ली:

गुरुवार को दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र शुरू हुआ, और होते ही हंगामे के चलते स्थगित, बहुत बार स्थगित होने के बाद शाम साढ़े चार बजे जैसे ही सदन की कारवाई शुरू हुई, कांग्रेस और बीजेपी दोनों एक सुर में हंगामा करने में जुट गई।
 
अचानक कांग्रेस के विधायक आसिफ़ मोहम्मद दौड़ते हुए स्पीकर की कुर्सी के पास आए और वहां पड़े कागज़ात उठाकर फाड़ डाले,
लेकिन जोश अभी बाकी था। अब वो दौड़कर मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के पास गए, वहां उनको माइक नज़र आए तो उन्होंने वो भी तोड़ डाले।

कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली और विधायक हसन अहमद दोनों स्पीकर की कुर्सी पास गए गए और नारे लगाने लगे। जैसे ही स्पीकर कुछ बोलना चाहते, ये दोनों उनका माइक खींच लेते थे।

कांग्रेस के विधायक जयकिशन ने मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को अदरक दे डाली, बीजेपी के विधायक आरपी सिंह ने कानूनमंत्री सोमनाथ भारती को चूड़ियां दीं। जहाँ तक याद है, ऐसा शायद पहली बार हो रहा था कि ये वो विधानसभा नहीं लग रही थी।

कांग्रेस और बीजेपी दोनों की तरफ से कहा जा रहा था कि हम 40 हैं। 40 का मतलब बीजेपी 32 और कांग्रेस 8 और स्पीकर को हमारी बात माननी होगी। मांग थी सोमनाथ भारती के मुद्दे पर ''कॉल अटेंशन मोशन" लाया जाए। सोमनाथ भारती को बर्खास्त किया जाए।

बाहर निकलकर कांग्रेस के अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने कहा कि हमने अपने विधायकों के व्यवहार पर माफ़ी मांग ली है। आज के हंगामे के "सुपरस्टार" रहे कांग्रेस के विधायक आसिफ़ मोहम्मद ने कहा, क्योंकि स्पीकर उनकी बात नहीं सुन रहे थे, इसलिए उन्होंने ऐसा किया और उनके पास कोई रास्ता नहीं था। लेकिन, वो ये कहने से नहीं चूके कि हम कल हंगामा जारी रखेंगे।

अभी तक की पूरी कहानी हैडलाइन से मेल नहीं खा रही न?
ये कहानी इसलिए सुनाई क्योंकि ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस की ये रणनीति है कि हंगामा करो और सोमनाथ भारती का मुद्दा उठाओ
और जनलोकपाल बिल पर खड़े हुए धर्मसंकट को टालने की कोशिश करो।
 
बीजेपी को तो ये नीति वैसे भी रास आनी ही है, इसलिए वो इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ दिखने में कोई दिक्कत नहीं मान रही
अब सवाल ये है कि शुक्रवार को यानि वैलेंटाइन डे पर क्या होगा?

अरविन्द केजरीवाल की मंशा है वो जनलोकपाल को विधान सभा में पेश कर दें, लेकिन बिल को पटल पर रखने से पहले ही अगर सरकार को रोक दिया गया तो?

यानि अगर उपराज्यपाल कि तरफ से कोई सन्देश आ गया जो बिल को टेबल होने से रोक दे तो? ऐसी सूरत में मुख्यमंत्री बिल पेश करने के लिए आगे बढ़ेंगे और अगर बिल पेश करने के लिए वोटिंग हुई तो क्या होगा?

ऐसी सूरत में इम्तिहान कांग्रेस और बीजेपी का होगा क्यूंकि अगर बिल ही पेश न हुआ तो चर्चा क्या होगी? और जब चर्चा ही नहीं होगी तो पास किसको करेंगे?

ऐसे सूरत में शुक्रवार को ही अरविन्द केजरीवाल इस्तीफ़ा दे सकते हैं और दिल्ली कि सरकार गिर जाएगी।
इम्तिहान यहाँ आम आदमी पार्टी की सरकार का नहीं बल्कि कांग्रेस-बीजेपी का है। क्योंकि ये सरकार बनी नहीं बनवाई गई है
और जिन कारणों से ये सरकार बनवाई गई वो कारण शायद अभी पूरे नहीं हुए हैं।

ऐसे क्या कांग्रेस-बीजेपी दोनों ये केजरीवाल सरकार का गिरना बर्दाशत कर सकते हैं? क्या बीजेपी अरविन्द केजरीवाल को दिल्ली से फ्री करना झेल सकती है? क्या कांग्रेस केजरीवाल सरकार के विरोध में जाकर अपनी सदाबहार विरोधी बीजेपी के साथ दिख सकती है? और क्या दोनों केजरीवाल के इस हमले के लिए तैयार होंगे कि ''भ्रष्टाचार रोकने के लिए एक सख्त क़ानून लाने के उनकी सरकार गिराई गई?

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इसलिए मैंने कहा कि क्या वैलेंटाइन डे पर केजरीवाल इस्तीफा दे देंगे, कांग्रेस-बीजेपी का है इम्तिहान चलिए शुक्रवार को पता चलेगा कि केजरीवाल लोकसभा चुनाव 2014 के लिए फ्री हो जाएंगे या फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर पार्टी का एजेंडा आगे बढ़ाएंगे।