यह ख़बर 20 मार्च, 2012 को प्रकाशित हुई थी

कर्नाटक भाजपा में दरार, नाटक जारी

खास बातें

  • कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाटक एक बार फिर शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा एक बार फिर खुद को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर अड़ गए हैं।
बेंगलुरू/मुम्बई:

कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का नाटक एक बार फिर शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा एक बार फिर खुद को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर अड़ गए हैं। वह केंद्रीय नेतृत्व को अपनी ताकत का इजहार करा रहे हैं और केंद्रीय नेतृत्व असमंजस की स्थिति में आ गया है।

केंद्रीय नेतृत्व तय नहीं कर पा रहा है कि वर्तमान मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा को हटा उनकी जगह येदियुरप्पा को बहाल किया जाए या फिर येदियुरप्पा पर कार्रवाई कर उनके विद्रोह को दबा दिया जाए।

बहरहाल, दोनों पक्षों का क्या रुख रहेगा यह तो मंगलवार को ही स्पष्ट हो पाएगा। क्योंकि येदियुरप्पा ने केंद्रीय नेतृत्व को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। मंगलवार से कर्नाटक विधानसभा का सत्र भी शुरू हो रहा है।

सबकी नजरें इस बात पर टिकी है कि येदियुरप्पा के समर्थक सत्र का बहिष्कार कर केंद्र की मुश्किलें कितनी बढ़ाते हैं और केंद्र का इस पर क्या रुख रहता है।

भाजपा के अध्यक्ष नितिन गडकरी ने मुम्बई में इस बीच कहा कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व येदियुरप्पा से बातचीत कर कर्नाटक में नए सिरे से उठे नेतृत्व विवाद को सुलझाने का प्रयास कर रहा है। गडकरी ने भरोसा जताया कि येदियुरप्पा ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे, जिससे पार्टी की छवि धूमिल हो।

गडकरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "लोकायुक्त की सिफारिश पर हमने येदियुरप्पा से इस्तीफा देने को कहा था। हम उनसे बातचीत कर रहे हैं। वह पार्टी के अच्छे कार्यकर्ता हैं।"

कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा में नेतृत्व को लेकर चल रहे मौजूदा संकट के सूत्रधार येदियुरप्पा ने रविवार को पार्टी नेतृत्व को 48 घंटे का समय दिया है।

इस बारे में गडकरी ने कहा, "येदियुरप्पा ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे, जिससे पार्टी की छवि धूमिल हो। उन्हें पार्टी के फैसले का इंतजार करना चाहिए। हम इस बारे में जल्द निर्णय लेने को प्रतिबद्ध हैं।" उन्होंने कहा, "हमारी बातचीत चल रही है। भाजपा लोकतांत्रिक पार्टी है। हम इस पर विचार करेंगे और उपयुक्त समय आने पर निर्णय लेंगे।"

कर्नाटक के मुख्यमंत्री डीवी सदानंद गौड़ा बुधवार को बजट पेश करने वाले हैं लेकिन येदियुरप्पा के रुख को देखते हुए स्पष्ट है कि वह नहीं चाहते कि गौड़ा बजट पेश करें। रविवार शाम पत्रकारों से येदियुरप्पा ने कहा था, "आप 48 घंटे प्रतीक्षा करिए, आपको जानकारी हो जाएगी।"

अपने आवास पर 50 से अधिक विधायकों के साथ बैठक के बाद येदियुरप्पा ने कहा, "पार्टी के 120 विधायकों में से 70 का समर्थन मेरे पास है। हम एक स्थान पर इकट्ठा हो रहे हैं ताकि पार्टी नेतृत्व को स्थिति को पता चले और नेतृत्व शीघ्र सही निर्णय ले।"

येदियुरप्पा पार्टी के 55 विधायकों को दो बसों से बेंगलुरू के बाहर एक स्थान पर ले गए। विधायकों को ले जाते समय उन्होंने कहा, "यहां 55 विधायक हैं। 15 और विधायक कल यहां आ जाएंगे।"

ज्ञात हो कि कभी येदियुरप्पा की खिलाफत करने वाले ग्रामीण विकास मंत्री जगदीश शेट्टार उनके समर्थन में आ गए हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों पर गत वर्ष 31 जुलाई को येदियुरप्पा ने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। इसके बाद गौड़ा चार अगस्त को मुख्यमंत्री बने।

हाल ही में आए उच्च न्यायालय के एक फैसले में खनन रिश्वतखोरी मामले में येदियुरप्पा को बरी कर दिए जाने के बाद भाजपा पर उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाने का दबाव बढ़ रहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने 225 सदस्यीय विधानसभा के भाजपा के 120 सदस्यों में से उन्हें 70 सदस्यों का समर्थन प्राप्त होने की बात कही है। इनमें एक नामांकित सदस्य भी शामिल है।

येदियुरप्पा व कई मंत्रियों सहित उनके समर्थक बेंगलुरू के बाहरी इलाके में एक रिसॉर्ट में बैठक कर यह तय कर रहे हैं कि क्या उन्हें केंद्रीय नेतृत्व से अपनी मांग मनवाने के लिए विधानसभा का बहिष्कार करना चाहिए।

दिल्ली में करीब 10 भाजपा सांसद केंद्रीय नेतृत्व पर गौड़ा के स्थान पर येदियुरप्पा की नियुक्ति के लिए दबाव बना रहे हैं।

पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि वह येदियुरप्पा के सम्पर्क में हैं और उन्हें संकट का समाधान निकलने की उम्मीद है।

पिछले साल 31 जुलाई को येदियुरप्पा पर दबाव बनाकर उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया था। राज्य के तत्कालीन लोकायुक्त ने अपनी जांच में पाया था कि येदियुरप्पा के परिवार के सदस्यों ने दो खनन कम्पनियों का पक्ष लेने के एवज में उनसे करीब 30 करोड़ रुपये लिए थे। इसके बाद येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा। उनके स्थान पर चार अगस्त को गौड़ा ने मुख्यमंत्री पद संभाला था लेकिन येदियुरप्पा जल्दी ही उनका विरोध करने लगे और खुद की दोबारा नियुक्ति के लिए दबाव बनाने लगे।

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इसके बाद सात मार्च को आए उच्च न्यायालय के फैसले में लोकायुक्त रपट व येदियुरप्पा के खिलाफ दर्ज मामला अमान्य किए जाने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग बढ़ गई।