यह ख़बर 14 मई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

येदियुरप्पा से मिली भाजपा को फौरी राहत, इस्तीफा नहीं देंगे

खास बातें

  • मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा को पद से हटाने पर अड़े और बागी तेवर अपनाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को घोषणा की कि वह और उनके समर्थक फिलहाल न तो विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देंगे और न ही भाजपा छोड़ेंगे।
बेंगलुरु:

कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को फौरी राहत तो जरूर मिल गई है लेकिन उसका संकट अभी टला नहीं है। मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा को पद से हटाने पर अड़े और बागी तेवर अपनाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को घोषणा की कि वह और उनके समर्थक फिलहाल न तो विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देंगे और न ही भाजपा छोड़ेंगे।

येदियुरप्पा ने जहां मौजूदा संकट के लिए मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा और पार्टी महासचिव अंनत कुमार को जिम्मेदार ठहराया वहीं दूसरी ओर केंद्रीय नेतृत्व को अपनी ताकत का एहसास कराते हुए कहा कि पार्टी के 71 विधायकों का समर्थन उन्हें हासिल है और 40 के इस्तीफे तो उनके पास पड़े हुए हैं।

येदियुरप्पा ने सोमवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "मैंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया था। यह फैसला दोपहर 12 बजे का था लेकिन फिलहाल इसे मैं कुछ दिनों के लिए स्थगित कर रहा हूं। पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी, वरिष्ठ नेता अरुण जेटली और कई धार्मिक गुरुओं की अपील के बाद हमने इस्तीफा देने और पार्टी छोड़ने का फैसला फिलहाल टाल दिया है। मैं प्रदेश भर में घूमूंगा और जनता की राय लूंगा।"

येदियुरप्पा ने मौजूदा संकट के लिए अनंत कुमार और सदानंद गौड़ा को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि वह इसके लिए कतई जिम्मेदार नहीं हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष उनका और उनके समर्थक विधायकों का लगातार अपमान कर रहे हैं और जनता दल (सेक्यूलर) से पींगे बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि अनंत कुमार मुख्यमंत्री बनने को बेताब हैं और गौड़ा सरकार नहीं चला सकते।

बकौल येदियुरप्पा, "अनंत कुमार और गैंग की वजह से ही उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। वह दिल्ली में लालकृष्ण आडवाणी को मेरे खिलाफ बरगलाने का काम करते हैं।" उन्होंने कहा कि उनके पास जेटली का फोन आया था और उन्होंने उनसे कोई बहुत बड़ा फैसला न लेने को कहा। पार्टी नेताओं ने कहा कि यदि वह इस्तीफा दे देते हैं तो पार्टी अनाथ हो जाएगी।

येदियुरप्पा ने कहा, "मैं यह केंद्रीय नेताओं पर छोड़ता हूं कि उन्हें येदियुरप्पा की जरूरत है कि नहीं। मैंने 40 साल पार्टी की सेवा की और जब मैं मुख्यमंत्री बना तो भाग्यलक्ष्मी और छात्रों को साइकिल देने की योजना को आज भी लोग याद करते हैं।"

येदियुरप्पा ने इससे पहले दावा किया कि उन्हें 71 विधायकों का समर्थन हासिल है और 40 तो अभी इस्तीफा देने को तैयार है।

येदियुरप्पा ने सुबह एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि वह शाम चार बजे एक संवाददाता सम्मेलन में अपनी आगे की रणनीति का खुलासा करेंगे। उसके बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि येदियुरप्पा अपने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ने की घोषणा कर सकते हैं।

इधर, नई दिल्ली में कांग्रेस ने येदियुरप्पा के पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की प्रशंसा की अनदेखी करते हुए कहा कि उन्हें किसी से प्रमाण-पत्र की जरूरत नहीं है।

कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा, "न तो कांग्रेस पार्टी और न ही इसकी अध्यक्ष को किसी से प्रमाण-पत्र लेने की जरूरत है।" उन्होंने कहा कि भाजपा वर्ष 2008 में सत्ता में आई और तभी से आंतरिक मतभेदों से जूझ रही है। उन्होंने कहा, "मुझे उम्मीद है कि अगले आठ महीनों में जब राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले है, जनता इसका ध्यान रखेगी।"

येदियुरप्पा और भाजपा नेतृत्व के बीच झगड़े को उन्होंने पार्टी का आंतरिक मामला बताया।

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येदियुरप्पा ने रविवार को यह कहकर भाजपा नेताओं को मुश्किल में डाल दिया था कि सोनिया अपनी पार्टी के नेताओं के साथ अच्छा व्यवहार करती हैं और मुश्किल वक्त में उनके साथ होती हैं।