यह ख़बर 11 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

हिन्दी फिल्मों के पहले एक्शन हीरो दारा सिंह का निधन

खास बातें

  • अभिनेता दारा सिंह के अंतिम संस्कार में बॉलीवुड की कई जानी-मानी हस्तियां, टेलीविजन इंडस्ट्री और आम लोग बड़ी संख्या में पहुंचे।
मुंबई:

अभिनेता दारा सिंह का आज मुंबई में निधन हो गया है। रूस्तम-ए-हिन्द के नाम से मशहूर दारा सिंह को दिल का दौरा पड़ने के बाद 7 जुलाई को कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बीती रात उनके परिजन उन्हें अस्पताल से घर ले आए थे क्योंकि आखिरी वक्त में परिवार दारा सिंह के साथ रहना चाहता था।

अभिनेता दारा सिंह के अंतिम संस्कार में बॉलीवुड की कई जानी-मानी हस्तियां, टेलीविजन इंडस्ट्री और आम लोग बड़ी संख्या में पहुंचे।

83 साल के दारा सिंह जिंदगी से जंग हार गए तो इसकी बड़ी वजह है दिल का दौरा। बताया जा रहा है कि दिल का दौरा पड़ने पर दिमाग में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने से उनकी तबीयत बिगड़ी। इस तरह की स्थिति में सुधार की उम्मीद बहुत कम रहती है। उनकी हालत इतनी नाजुक हो गई कि उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। बाद में उनकी किडनी ने भी काम करना बंद कर दिया।

वैसे, कुश्ती के इस महारथी की तबीयत पिछले एक साल से खराब चल रही थी। 83 साल के दारा सिंह जब तक कुश्ती के मैदान में रहे कभी नहीं हारे न ही उन्होंने फिल्मों से नाता तोड़ा। फिल्म और कुश्ती में इतनी शोहरत पाने वाला शायद ही कोई और पहलवान हो इसीलिए न तो कुश्ती और न हिन्दी सिनेमा का इतिहास दारा सिंह के बगैर पूरा हो सकता है।

वह भारतीय फिल्मों के पहले एक्शन हीरो थे जिन्होंने हिन्दी फिल्मों के पहले 'एक्शन किंग' का दर्जा हासिल किया। 60 और 70 के दौर में दारा सिंह का एक्शन फिल्मी परदे पर छाया रहा। कहते हैं कि एक्शन सीन्स में शर्ट उतारने का चलन दारा सिंह ने ही शुरू किया था। रामायण में निभाया उनका हनुमान का रोल सबसे ज्यादा पसंद किया गया।

उनके फिल्मी करियर की शुरुआत 1952 की फिल्म 'संगदिल' से हुई जिसमें उनका छोटा-सा रोल था। शुरुआत में छोटे-मोटे रोल के बाद उन्हें पहला बड़ा ब्रेक मिला 1962 की फिल्म किंग-कांग से मिला। फिल्म में दारा सिंह पहलवान के ही रोल में थे। फिर तो ज्यादातर फिल्मों में दारा सिंह पहलवान के रोल में दिखते रहे।

वह 'सिकंदर-ए-आज़म' जैसी देशभक्ति से ओत-प्रोत फिल्मों में भी दिखे। उन्होंने करीब 140 हिन्दी और पंजाबी फिल्मों में काम किया जिनमें से कई में उन्होंने मुख्य भूमिका अदा की। उनकी कुछ यादगार फिल्में हैं, 'वतन से दूर...', 'रुस्तम-ए-बगदाद', 'सिकंदर-ए-आजम', 'राका मेरा नाम', 'जोकर' और 'धरम-करम'।

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अभिनेत्री मुमताज उन्हीं की खोज थी। दोनों ने मिलकर 16 फिल्में दीं और यह जोड़ी काफी मशहूर रही। बाद में उन्होंने 'भक्ति में शक्ति' और 'ध्यानू भगत' जैसी धार्मिक फिल्मों का निर्माण और निर्देशन भी किया। करेक्टर आर्टिस्ट के तौर पर वह 'दिल्लगी' और 'कल हो ना हो' जैसी फिल्मों में अपनी झलक दिखाते रहे। पिछली बार वह 'जब वी मेट' में दिखे। 'अता पता लापता' उनकी आखिरी फिल्म है जिसका रिलीज होना अभी बाकी है।