यह ख़बर 21 जुलाई, 2012 को प्रकाशित हुई थी

ममता ने दिया बंगाल में कांग्रेस से अलग रहने का संकेत

खास बातें

  • तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने शनिवार को कांग्रेस के साथ गठबंधन खत्म करने का संकेत दिया और कहा कि उनकी पार्टी राज्य में अकेले ही सरकार चलाने में सक्षम है। वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए इसे 'विश्वासघात' बताया और कहा कि लोगों ने गठबंधन को वोट दिया
कोलकाता:

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने शनिवार को कांग्रेस के साथ गठबंधन खत्म करने का संकेत दिया और कहा कि उनकी पार्टी राज्य में अकेले ही सरकार चलाने में सक्षम है। वहीं कांग्रेस ने पलटवार करते हुए इसे 'विश्वासघात' बताया और कहा कि लोगों ने गठबंधन को वोट दिया था।

यहां एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए ममता ने कहा, "हम राज्य में अकेले सरकार चलाने में सक्षम हैं। हमारे पास पर्याप्त बहुमत है। हम किसी पर निर्भर नहीं हैं। हम बंगाल में अकेले ही चुनाव लड़ेंगे। हम किसी की दया पर टिके हुए नहीं हैं। यह हमारा अपना संघर्ष है। सरकार चलाने के लिए हमारे पास बहुमत है।" उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि केंद्र में हालांकि उनकी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन कायम रहेगा, बशर्ते उनके साथ आदर और गरिमापूर्ण व्यवहार हो।"

ममता के इस बयान पर राज्य कांग्रेस ने पलटवार किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा, "तृणमूल अकेली रहे और अकेले ही चुनाव लड़े, हमें कोई समस्या नहीं है। हम पहले ही कह चुके हैं कि हमारा रुख पार्टी आलाकमान तय करेगी। लेकिन उनका यह कहना कि उन्हें कांग्रेस की जरूरत नहीं है, न केवल गठबंधन के नियमों के साथ विश्वासघात है, बल्कि बंगाल के लोगों के साथ भी, जिन्होंने गठबंधन को वोट दिया था, तृणमूल को नहीं।"

नाराज भट्टाचार्य ने तृणमूल नेतृत्व पर यह कहकर प्रहार किया, "ममता को पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले ही गठबंधन के खिलाफ जाकर अपनी ताकत दिखानी चाहिए थी।"

गौरतलब है कि कांग्रेस और तृणमूल का हालांकि राज्य और केंद्र में गठबंधन है, फिर भी विभिन्न मुद्दों पर दोनों में तकरार होती रही है। मुद्दे चाहे राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े हों या लोकपाल विधेयक से या खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का मुद्दा हो।

दूसरी ओर, राज्य का कांग्रेस नेतृत्व तृणमूल की अगुवाई वाली राज्य सरकार पर हिंसा व अन्य मामलों में विफल रहने का आरोप लगाता रहा है।

ममता ने कहा, "राज्य के कुछ कांग्रेस नेता माकपा (मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) समर्थित टेलीविजन चैनलों के स्टूडियो में बैठते हैं और हमारी सरकार की आलोचना करते हुए व्याख्यान देते हैं, जैसे हम उनकी दया पर सरकार चला रहे हों। नहीं, उन्हें पता होना चाहिए कि वे हमारी वजह से यहां हैं। उनका (राज्य कांग्रेस) काम केवल हमें गाली देना है।"

राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के साझेदारों के बीच संबंध में हाल के दिनों में कड़वाहट भर गई है। खासकर तब से जब ममता ने संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का विरोध करने का फैसला लिया। राज्य के नाराज कांग्रेस नेतृत्व ने तो उन्हें 'बंगाली विरोधी' तक कह दिया।

ममता ने हालांकि बाद में अपना रुख बदला और प्रणब की उम्मीदवारी का समर्थन किया, फिर भी दोनों दलों के बीच दरार चौड़ी होती जा रही है।

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इससे पहले कई मौकों पर तृणमूल नेतृत्व राज्य कांग्रेस को विपक्षी माकपा की टीम-बी बताता रहा है और आरोप लगाता रहा है कि कांग्रेस मार्क्‍सवादियों के साथ मिलकर राज्य में चल रहे विभिन्न विकास कार्यो में अड़ंगा लगाती रही है।