देश में आर्थिक सुधारों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने मंगलवार को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को और उदार बनाने तथा बीमा, खुदरा, दूरसंचार एवं रक्षा सहित अनेक क्षेत्रों में एफडीआई की सीमा में वृद्धि करने का फैसला किया है।
यह निर्णय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को हुए मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्यों की बैठक के दौरान लिया गया।
बैठक में लिए गए एक अन्य निर्णय में सरकार ने दूरसंचार में वर्तमान 74 फीसदी एफडीआई को शत प्रतिशत किए जाने के बहुप्रतीक्षित फैसले को भी मंजूरी दे दी।
बैठक के बाद वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि बीमा उद्योग में वर्तमान 26 फीसदी एफडीआई की सीमा को बढ़ाकर 49 फीसदी किए जाने का फैसला किया गया है।
अनेक ब्रांडों वाले खुदरा व्यापार में अब विदेशों से होने वाला निवेश स्वत: ही 49 फीसदी तक हो जाएगा।
विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की अनुमति मिल जाने के बाद वर्तमान नीति के तहत अनेक ब्रांड वाले खुदरा व्यापार क्षेत्र में एफडीआई की अनुमति है।
शर्मा ने कहा कि विदेशी खुदरा क्षेत्र की तरफ से लगातार बढ़ रही मांगों को देखते हुए सरकार ने अनेक ब्रांड वाले खुदरा व्यापार में एफडीआई के मानदंडों को उदार बनाने का निर्णय किया है।
सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट ने रक्षा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाने के फैसले पर विचार किया लेकिन गृहमंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के विरोध फैसले को टाल दिया गया। कहा जा रहा है कि कुछ शर्तों के साथ इसके रास्ते तलाशे जा रहे हैं।
गौरतलब है कि रक्षामंत्री एके एंटनी ने वाणिज्य मंत्री के रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा मौजूदा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के प्रस्ताव का विरोध किया था। उनका कहना था कि यह एक ‘उल्टा’ कदम साबित होगा क्योंकि इससे इससे एक तरफ जहां विदेशी कंपनियों पर निर्भरता बढ़ेगी वहीं घरेलू रक्षा उद्योग की वृद्धि प्रभावित होगी।
एंटनी ने वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा को एक पत्र भी लिखा था। इस पत्र में कहा है एंटनी ने कहा था कि रक्षा क्षेत्र में एफडीआई सीमा नहीं बढ़ाई जा सकती क्योंकि देश विदेशी कंपनियों पर निर्भरता का वहन नहीं कर सकता।
(इनपुट एनडीटीवी इंडिया, भाषा और आईएएनएस से भी)